Friday , November 15 2024
Home / छत्तीसगढ़ / नक्सल प्रभावित इलाके की तस्वीर लगी बदलने; कांकेर में बीएसएफ के शिविर स्कूल में तब्दील

नक्सल प्रभावित इलाके की तस्वीर लगी बदलने; कांकेर में बीएसएफ के शिविर स्कूल में तब्दील

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों की तस्वीर बदलने लगी है। कांकेर जिले में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दो खाली शिविरों को बच्चों के लिए स्कूल और छात्रावास में बदल दिया गया। अंतागढ़ क्षेत्र के बोंडानार और कधई खोदरा गांवों में स्थित शिविर पहले बीएसएफ के कंपनी संचालन बेस थे। नक्सलवाद पर अंकुश के लिए तैनात सुरक्षा बलों ने यहां हालात बेहतर होने के बाद अपनी गतिविधियां अब आगे के क्षेत्र में केंद्रित कर ली हैं।

अधिकारियों ने बताया कि बीएसएफ ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आगे बढ़ते हुए बोंडानार शिविर को रावघाट क्षेत्र के पादर गांव में स्थानांतरित कर दिया। वहीं, कधई खोदरा शिविर को पड़ोसी नारायणपुर जिले के जंगलों में स्थानांतरित कर दिया गया है। 2010 में स्थापित बोडानार शिविर को पिछले साल फरवरी में स्थानांतरित किया गया, जबकि कधई खोदरा शिविर की स्थापना 2015 में हुई थी, जिसे इस साल फरवरी में स्थानांतरित किया गया।

अंतागढ़ के अतिरिक्त कलेक्टर बीएस उइके ने बताया, कधई खोदरा गांव वाले शिविर को मौजूदा शैक्षणिक सत्र से सरकारी हाईस्कूल के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा, जबकि दूसरे को पिछले साल ही लड़कों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रावास बना दिया गया था। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (अंतागढ़) जयप्रकाश बरहाई ने कहा कि दो शिविरों का स्थानांतरण सुरक्षाकर्मियों की ओर से मौजूदा प्रतिष्ठानों के आसपास के क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत किए जाने का नतीजा है।

छात्र-छात्राओं को उपलब्ध कराई जा रही सुविधा
कधई खोदरा स्कूल में 33 विद्यार्थी नौवीं और 10वीं कक्षा में पढ़ते हैं, जिसमें 16 लड़कियां हैं। वहीं, बोंडानार छात्रावास में छठी से 12वीं कक्षा तक के कुल 75 लड़के रहते हैं। उइके ने बताया कि दोनों शिविरों में बच्चों के लिए खेल का मैदान, पेयजल, शौचालय और अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं।

आंतरिक इलाकों में स्थानांतरित होंगे और शिविर
बरहाई ने कहा, नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिए धीरे-धीरे और अधिक शिविरों को आंतरिक इलाकों में स्थानांतरित किया जाएगा। अच्छी बात यह है कि प्रशासन खाली किए गए शिविरों का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों, खासकर शिक्षा के लिए कर रहा है। एक और खाली किए गए शिविर को बिजली उपकेंद्र के रूप में उपयोग करने की योजना बनाई जा रही है।