
रायपुर 28 मई। छत्तीसगढ़ विधानसभा में मंत्रियों एवं सदस्यों के निज सचिव एवं निज सहायकों के लिए आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ.रमन सिंह कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह आयोजन लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। निज सचिव एवं निज सहायकों का प्रशिक्षण इसलिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि तीन करोड़ की आबादी वाले छत्तीसगढ़ में करीब सौ लोग ही ऐसे हैं, जो सीधे तौर पर विधायकों और मंत्रियों के साथ कार्यरत हैं। निज सचिव एवं निज सहायकों की जिम्मेदारी होती है कि अपने जनप्रतिनिधि को मजबूत करें, उनका सहयोग करें जिससे की शासन की योजनाओं को जमीनी स्तर तक प्रभावी ढंग से पहुंच पाए।
उन्होने जोर देकर कहा कि, निज सचिव, निज सहायक ही जनप्रतिनिधि की सफलता के सशक्त स्तंभ हैं। वे न केवल क्षेत्रीय जनता के संपर्क में रहते हैं, बल्कि विधायक या मंत्री की सार्वजनिक छवि और प्रदर्शन को भी निखारने का काम करते हैं। उनकी सजगता और दक्षता सीधे तौर पर शासन की प्रभावशीलता को प्रभावित करती है।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि हर व्यक्ति को जीवन भर कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए। उन्होंने इस प्रशिक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा, “अगर किसी विधायक या मंत्री को बर्बाद करना है तो उनका निज सचिव एवं निज सहायक कर सकता है, और अगर उन्हें सफल बनाना है तो भी वही कर सकता है।”उन्होंने कहा कि केवल कागजों पर दस्तखत करवाना या चिट्ठी लिखवाना ही एक निज सहायक की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि उन्हें अपने जनप्रतिनिधि के सच्चे सहयोगी के रूप में कार्य करना चाहिए।
कार्यक्रम में संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप ने भी संबोधित किया और कहा कि सदन के संचालन में निज सचिवों और सहायकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। ये लोग ही जनप्रतिनिधियों के सहयोगी बनकर कार्य करते हैं। उनकी सजगता और दक्षता ही जनसेवा की गुणवत्ता तय करती है।
विधानसभा अध्यक्ष के विशेष सचिव अरुण बिसेन ने निज सचिव/निज सहायक को संबोधित करते हुए अपने 23 वर्षों के प्रशासनिक अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि किस प्रकार मीडिया, विशेष रूप से सोशल मीडिया का सकारात्मक उपयोग कर जनप्रतिनिधि की छवि को बेहतर बनाया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे एक निज सहायक जनप्रतिनिधि को जनता से जोड़ने में एक सशक्त सेतु की भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने कहा, जब आपके पास कोई भी व्यक्ति चिकित्सा संबंधी कोई गंभीर सहायता के लिए आता है तब आपको व्यक्तिगत रूप से समर्पित होकर कार्य करना पड़ता है उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए 2011 की एक घटना का उल्लेख किया, जब एक गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति का लिवर ट्रांसप्लांट दो राज्यों के बीच समन्वय स्थापित कर सफलतापूर्वक संपन्न कराया गया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि किसी भी क्षेत्र से यदि कोई व्यक्ति स्वास्थ्य या अन्य गंभीर समस्या लेकर आता है, तो निज सचिव को उसमें व्यक्तिगत रूप से शामिल होना चाहिए।