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सिर्फ दिल नहीं, आंखों की रोशनी के लिए भी खतरा बन सकता है हाई ब्लड प्रेशर

ब्लडप्रेशर के अनियंत्रित होने के कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं, इसमें से ही एक समस्या है- विजन लास या आंखों की रोशनी जाने की। हमारे देश में लगभग 23 प्रतिशत आबादी हाइपरटेंशन से प्रभावित है। इससे स्पष्ट है कि हाइपरटेंशन के चलते होने वाली आंखों की समस्या कितनी गंभीर होती जा रही है। हालांकि, ब्लडप्रेशर को नियंत्रित रखने के साथ अगर आंखों की समय पर जांच और उपचार हो तो रेटिना और आप्टिक नर्व को इससे होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।

कैसे होती है हाइपरटेंशन रेटिनोपैथी?
अगर क्रोनिक या लगातार हाइपरटेंशन की समस्या बनी रहती है तो उससे ब्लड बेसल्स यानी रक्त वाहिकाओं की क्षमता प्रभावित होती है। ब्लडप्रेशर में हो रहे उतार-चढ़ाव का प्रभाव आंखों पर भी हो रहा होता है, पर वह स्पष्ट तौर पर दिखता नहीं है। इससे आंखों की नसें ब्लाक हो सकती हैं और रेटिना को नुकसान हो सकता है । यह आंख का ऐसा हिस्सा है जो प्रकाश को महसूस करता है। उसके खराब होने से धुंधला दिखने लगता है और आंखों में रक्त आने या पूरी तरह रोशनी जाने की नौबत आ सकती है । इसे ही हाइपरटेंशन रेटिनोपैथी कहते हैं। जिन लोगों को डायबिटीज और उच्च रक्तचाप दोनों ही समस्याएं हैं, उनके आंखों को नुकसान होने की आशंका अधिक होती है ।

हाइपरटेंशन नियंत्रित करना क्यों जरूरी?
अगर हाइपरटेंशन और डायबिटीज जैसी समस्याएं हैं तो मोतियाबिंद का आपरेशन करना मुश्किल हो जाता है। चूंकि, ब्लडप्रेशर में लंबे समय तक आंखों में हो रही परेशानी का स्पष्ट लक्षण ही नहीं दिखता है। यही कारण है कि आंखों की जांच में देरी हो जाती है। हाइपरटेंशन रेटिनोपैथी के कारण कुछ लोगों की नजर धीरे- धीरे कम होने लगती हैं। इसलिए, हाइपरटेंशन को लेकर भी सतर्क होने की जरूरत है।

डायबिटीज है तो अधिक होना होगा सतर्क
डायबिटीज ग्रस्त लोगों को आंख के अलग- अलग हिस्से में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। डायबिटीज अनियंत्रित होने से काला मोतिया, आंखों में खून आने, पर्दे के खराब होने, इसमें सूजन आने, अचानक नजर कम होने, कार्निया के डैमेज होने और बार-बार संक्रमण होने जैसी परेशानी हो सकती है। कुल मिलाकर, डायबिटीज आंखों के लिए कई तरह से परेशानी का कारण बनती है। वहीं, हाइपरटेंशन में आंखों को घुमाने वाली बारीक नसें जोखिम में रहती हैं। इससे अचानक एक आंख तिरछी हो जाती है, जिससे मरीज को डबल विजन लास या डिप्लोपिया हो सकता है। इसलिए समय रहते सतर्कता जरूरी है।

आंखों की नसें कैसे होती हैं प्रभावित?
उच्च रक्तचाप और डायबिटीज के चलते आंख की रोशनी जाने के बाद कई बार तो यह उपचार से भी नहीं लौटती । जैसे दिमाग का स्ट्रोक होता है, कुछ उसी तरह आंख के पर्दे का भी स्ट्रोक होता है। हाइपरटेंशन के कारण आंखों की नसों में रक्त संचार कुछ समय के लिए अवरुद्ध हो जाता है। आंख की नसों, पर्दे आदि में यह समस्या होने से विट्रेस हैमरेज हो सकता है, जिसके कारण अचानक नजर खत्म हो सकती है। रक्तचाप अनियंत्रित होने के कारण लांग टर्म में इस तरह की कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी होती हैं।

आंखों को स्वस्थ रखने के उपाय
सबसे पहले जीवनशैली से जुड़ी परेशानियों से दूर रहने की आदत डालनी होगी।

डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हाइपरलिपिडिमिया,थायरायड आदि का आंखों पर अधिक प्रभाव पड़ता है, इसलिए इसे नियंत्रित रखना आवश्यक है।

आंखों की नियमित जांच और चिकित्सक के परामर्श पर ही दवाओं का प्रयोग करें।

अगर कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं भी है तो वर्ष में कम से कम एक बार आंखों की जांच अवश्य करानी चाहिए।

आंखों में कुछ भी बदलाव, धुंधलापन दिखे, तो सतर्क हो जाएं और चिकित्सक से मिलें।

कोई भी दवा और आंखों का ड्राप डाक्टर की सलाह पर ही प्रयोग करें।

आंखों को साफ रखने के लिए स्वच्छ कपड़े का ही प्रयोग करना चाहिए।

डायबिटीज ग्रस्त लोगों को काला मोतिया की स्क्रीनिंग वर्ष में एक बार जरूर करानी चाहिए।