छत्तीसगढ़ ने एक बार फिर देशभर में अपनी पहचान सुधार और विकास के नए प्रतीक के रूप में दर्ज कराई है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT), भारत सरकार द्वारा आयोजित ‘उद्योग संगम’ में राज्य को बिज़नेस रिफॉर्म एक्शन प्लान (BRAP) की चारों प्रमुख श्रेणियों में ‘टॉप अचीवर’ घोषित किया गया। यह सम्मान इस बात का प्रमाण है कि छत्तीसगढ़ अब न केवल नीति निर्माण में बल्कि नीति क्रियान्वयन में भी अग्रणी राज्यों की पंक्ति में शामिल हो चुका है।
यह उपलब्धि उस परिवर्तन यात्रा की गवाही है जो छत्तीसगढ़ ने बीते वर्षों में तय की है। कभी BRAP रैंकिंग में निचले पायदान पर रहने वाला यह राज्य आज गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे औद्योगिक दिग्गजों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। यह परिवर्तन केवल अंकों का सुधार नहीं, बल्कि शासन की सोच और दृष्टिकोण में आए मूलभूत परिवर्तन का परिणाम है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने सुशासन, पारदर्शिता और भरोसे पर आधारित प्रशासनिक ढांचा स्थापित किया है। इस ढांचे ने न केवल निवेशकों का विश्वास जीता है बल्कि सामान्य नागरिकों के जीवन को भी सुगम और सशक्त बनाया है। राज्य सरकार ने सुधारों को केवल दस्तावेजों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उन्हें जन-जीवन में उतारकर एक नए विकास मॉडल का निर्माण किया है।
राज्य ने BRAP के अंतर्गत अब तक 434 सुधार लागू किए हैं — जो ‘Ease of Doing Business’ के साथ-साथ ‘Ease of Living’ को सशक्त बनाने की दिशा में उसके सतत प्रयासों को दर्शाते हैं। इन सुधारों का उद्देश्य केवल उद्योग स्थापित करना नहीं, बल्कि उस वातावरण का निर्माण करना है जहाँ उद्योग, समाज और प्रशासन एक साथ प्रगति करें।
इन्हीं सुधारों में एक ऐतिहासिक कदम रहा ‘जन विश्वास अधिनियम’, जिसके तहत छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य बना जिसने छोटे कारोबारी अपराधों को डीक्रिमिनलाइज किया। इस अधिनियम ने सरकार और उद्योग जगत के बीच भरोसे का पुल बनाया है। अब कारोबारियों के लिए शासन एक सहयोगी के रूप में सामने आ रहा है। यह बदलाव राज्य में उद्यमिता संस्कृति को और अधिक प्रोत्साहन देने वाला सिद्ध हुआ है।
इसी तरह एक और ऐतिहासिक पहल के रूप में छत्तीसगढ़ ने भूमि अभिलेखों के स्वचालित म्यूटेशन की शुरुआत की। यह कदम राज्य को देश का पहला ऐसा प्रदेश बनाता है जहाँ जमीन पंजीयन के साथ ही स्वामित्व का हस्तांतरण स्वतः हो जाता है। इससे न केवल प्रक्रियाएँ सरल हुई हैं बल्कि लोगों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने से भी मुक्ति मिली है। यह सुधार पारदर्शिता, दक्षता और समय की बचत तीनों का बेहतरीन उदाहरण है।
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