छत्तीसगढ़ में रविवार सुबह से ही एसीबी और ईओडब्ल्यू की संयुक्त टीमों की बड़ी कार्रवाई शुरू हो गई। राज्य में शराब घोटाला और डीएमएफ फंड के दुरुपयोग से जुड़े मामलों में यह अब तक की सबसे व्यापक कार्रवाई बताई जा रही है। कार्रवाई का दायरा राजधानी रायपुर समेत कई जिलों तक फैला हुआ है। शुरुआती जानकारी के अनुसार लगभग 18 ठिकानों पर टीमों ने एक साथ दबिश दी है।
रायपुर में रामा ग्रीन कॉलोनी स्थित पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास के आवास पर सुबह आठ बजे के करीब अधिकारी पहुंचे और दस्तावेजों की जांच शुरू की। टीम घर के सभी हिस्सों की तलाशी ले रही है और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड भी जब्त किए जा रहे हैं। इसी दौरान रायपुर की ही ला विस्टा कॉलोनी में कारोबारी हरपाल अरोरा के घर भी छापा डाला गया। बताया जा रहा है कि अधिकारियों ने यहां भी वित्तीय लेनदेन से जुड़े दस्तावेज, बैंक स्टेटमेंट और संपत्ति कागजातों की जांच की।
केवल रायपुर ही नहीं, बल्कि बिलासपुर, अंबिकापुर, कोंडागांव और जगदलपुर में भी समन्वित तरीके से यह कार्रवाई जारी है। बिलासपुर में छापा अशोक टुटेजा के आवास पर मारा गया है, जिनका नाम पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा से जुड़े कथित शराब घोटाले में सामने आया था। कोंडागांव में वर्ष 2019–20 के दौरान डीएमएफ सप्लाई से जुड़े कोणार्क जैन के निवास पर जांच जारी है, जबकि जगदलपुर में निरंजन दास के भाई चितरंजन दास के घर तलाशी की जा रही है।
सूत्रों का कहना है कि जांच एजेंसियों के पास कुछ नए डिजिटल दस्तावेज और ईमेल ट्रेल हासिल हुए हैं, जिसके बाद यह कार्रवाई तेज हुई है। टीमों के पास संभावित लेनदेन, हवाला कनेक्शन और अवैध आपूर्तिकर्ताओं की भूमिका से जुड़े बैंक रिकॉर्ड भी मौजूद बताए जा रहे हैं।
यह मामला उस कथित शराब घोटाले से जुड़ा है, जो कांग्रेस सरकार के दौरान 2019 से 2023 के बीच लागू शराब नीति के बाद सामने आया था। जांच में यह आरोप लगाए गए कि नीति में बदलाव कर कुछ चुनिंदा सप्लायर कंपनियों को लाभ पहुंचाया गया और इन्हीं कंपनियों के माध्यम से नकली होलोग्राम लगाकर शराब की अवैध बिक्री की गई। नोएडा की एक कंपनी द्वारा नकली सील और स्टिकर बनवाए गए, जिसके बाद कई तरह की प्रीमियम श्रेणी की शराब सरकारी दुकानों के माध्यम से बिना टैक्स के बेची जाती रही। इस वजह से राज्य को लगभग 2165 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है।
जांच एजेंसियों ने इससे पहले इस घोटाले में कई बड़े राजनीतिक और प्रशासनिक नामों को शामिल करते हुए कार्रवाई की थी। पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल, पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर की गिरफ्तारी हो चुकी है। इसके अलावा आबकारी विभाग के 28 अधिकारी भी आरोपी बनाए गए, जिन्हें बाद में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी। आज की कार्रवाई को इस पूरे मामले में एक नए चरण की शुरुआत माना जा रहा है। फिलहाल सभी जगह तलाशी जारी है और अधिकारियों का कहना है कि जब्ती और जांच की आधिकारिक जानकारी दिन के अंत तक सार्वजनिक की जा सकती है।
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