
रायपुर 27 नवंबर। वरिष्ठ भाजपा नेता एवं सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि भारत का लोकतंत्र केवल 75 वर्षों की यात्रा नहीं, बल्कि हजारों वर्षों पुरानी ज्ञान परंपरा का आधुनिक पुनर्जन्म है।
श्री अग्रवाल ने शासकीय जे. योगानंदम् छत्तीसगढ़ महाविद्यालय में “भारत में लोकतंत्र के 75 वर्ष एवं भारतीय ज्ञान परंपरा” विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए आज कहा कि आधुनिक भारत ने इसी संदेश को “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” के रूप में आत्मसात किया है। सांसद अग्रवाल ने अपने संबोधन में भारतीय ज्ञान परंपरा के वैश्विक योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि “ज्ञान ही लोकतंत्र की आत्मा है। ज्ञान अमृत के समान है, और ज्ञानवान व्यक्ति युगों तक अमर रहता है।”
श्री अग्रवाल ने कहा कि विश्व आज कई चुनौतियों से जूझ रहा है, लेकिन भारत अपनी सांस्कृतिक चेतना और लोकतांत्रिक स्थिरता के कारण विश्व पटल पर एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। उन्होंने दुख व्यक्त किया कि लंबे समय तक भारतीय साहित्य, वेद–पुराण और स्वदेशी शोध को उपेक्षित किया गया।
सांसद ने आग्रह किया कि विश्वविद्यालयों और कक्षाओं में भारतीय ज्ञान परंपरा को सम्मानजनक स्थान मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि “शिक्षा केवल डिग्री देने वाली न होकर राष्ट्र निर्माण की प्रेरक होनी चाहिए। भारतीय ज्ञान परंपरा को जन-जन तक पहुँचाना ही नवभारत के अमृत महोत्सव का सच्चा मार्ग है।”
कार्यक्रम में कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. श्रीधर, उद्योगपति विजय गोयल, प्राचार्य प्रो. तपेश गुप्ता, शिक्षगण और बड़ी संख्या में शोधार्थी उपस्थित रहे।
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