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कलेक्टर गाइडलाइन दरों में 100–800% बढ़ोतरी पर बृजमोहन की कड़ी आपत्ति,मुख्यमंत्री को भेजा पत्र

रायपुर, 02 दिसंबर।छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ भाजपा नेता एवं रायपुर लोकसभा सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने भूमि खरीदी-बिक्री की कलेक्टर गाइडलाइन दरों में की गई 100 से 800 प्रतिशत तक की भारी वृद्धि पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को विस्तृत पत्र लिखकर इस निर्णय को तत्काल स्थगित कर पुनर्विचार करने की मांग की है।

    सत्तारूढ़ दल के श्री अग्रवाल पहले वरिष्ठ नेता है जिन्होने गाइडलाइन दरों में हुई भारी वृद्दि का खुला विरोध करते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।

     श्री अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में लिखा है कि प्रदेश में बिना जन-परामर्श, बिना वास्तविक मूल्यांकन और बिना सामाजिक-आर्थिक प्रभावों की समीक्षा के गाइडलाइन दरों में अचानक वृद्धि कर दी गई। इससे किसान, छोटे व्यवसायी, कुटीर-उद्यमी, मध्यम वर्ग और रियल एस्टेट क्षेत्र में असंतोष चरम पर है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह निर्णय “Ease of Living” और “Ease of Doing Business” दोनों के विपरीत है और प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर सीधा प्रभाव डालेगा।

   सांसद अग्रवाल ने अपने पत्र में लाभांडी और निमोरा गांवों में गाइडलाइन दरों में हुई 725% व 888% की वृद्धि को चौंकाने वाला और अनुचित बताया। उनका कहना है कि यह किसी भी आर्थिक न्याय और व्यावहारिक मूल्यांकन के अनुरूप नहीं है।उन्होंने यह भी कहा कि नवा रायपुर के कई ग्रामीण क्षेत्रों को बिना आवश्यक सुविधाएँ विकसित किए नगरीय क्षेत्र घोषित कर दिया गया है, जिससे ग्रामीणों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ेगा।

  सांसद अग्रवाल ने कहा कि सरकार द्वारा यह तर्क दिया जा रहा है कि गाइडलाइन बढ़ने से किसानों को अधिक मुआवजा मिलेगा, जबकि वस्तुस्थिति यह है कि:

  • केवल 1% भूमि ही अधिग्रहण में आती है.
  • बाकी 99% जनता पर अनावश्यक टैक्स और आर्थिक भार पड़ रहा है.

 उन्होंने यह भी कहा कि गाइडलाइन मूल्य दोगुना करने के बाद भी पंजीयन शुल्क 4% बनाए रखना अन्यायपूर्ण है, जिसे घटाकर 0.8% किया जाना चाहिए।

   सांसद अग्रवाल ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि गत 20 नवंबर को लागू नई गाइडलाइन दरों को तत्काल स्थगित किया जाए और पूर्ववत दरें बहाल की जाएँ। साथ ही, एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित कर वास्तविक बाजार मूल्यांकन कराने का सुझाव दिया है।

   श्री अग्रवाल ने कहा है कि यह मुद्दा लाखों परिवारों के हित से जुड़ा है। उनका यह कदम एक बार फिर यह दर्शाता है कि वे राजनीति नहीं बल्कि जनसेवा को प्राथमिकता देते हैं।उन्होंने कहा कि जनभावनाओं का सम्मान ही लोकतंत्र का आधार है, और इसी विश्वास के साथ उन्होंने मुख्यमंत्री से तत्काल राहत की अपेक्षा जताई है।