नई दिल्ली 12 जून।मुस्लिम महिला वैवाहिक अधिकार संरक्षण विधेयक 2019 संसद के आगामी बजट सत्र में पेश किया जाएगा। यह इसी मुद्दे पर पहले जारी दूसरे अध्यादेश का स्थान लेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की हुई बैठक में आज इस विधेयक के प्रारूप को मंजूरी दी। सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि ये विधेयक मुस्लिम महिलाओं को पुरूषों के समान अधिकार प्रदान करेगा तथा मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाएगा।
उन्होने बताया कि अनेक मुस्लिम देशों में यह है तलाक-ए-विद्दत मंजूर नहीं है तो इसलिए मुस्लिम महिलाओं को न्याय देने वाला, जेंडर इकॉलिटी देने वाला और जेंडर जस्टिस देने वाला, सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास को सार्थक करने वाला ऐसा ही बहुत एतिहासिक निर्णय है और मुझे विश्वास है कि इस बार सदन में राज्यसभा भी इसको सहमत करेगी, संबद्ध करेगी।
इस विधेयक का उद्देश्य तीन तलाक को अवैध घोषित करना है। विधेयक में तीन तलाक को दण्डनीय अपराध ठहराया गया है और अपराधी को तीन साल तक की कैद और जुर्माने की सज़ा दी जा सकती है। इसके अलावा मुस्लिम महिलाओं और उन पर आश्रित बच्चों को गुजारा भत्ता देने का प्रावधान किया गया है। विधेयक में ये प्रावधान भी किया गया है कि अपराधी को जमानत देने से पहले मजिस्ट्रेट पीडि़त महिला की सुनवाई करेगा।
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