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संत कबीर की वाणी को अपने जीवन में उतारने की जरूरत – भूपेश

रायपुर 24 जून।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि संत कबीर प्रेम, सामाजिक समरता और मानवता के कवि थे, वे एक समाज सुधारक भी थे, जिन्होंने सामाजिक कुरीतियों पर कठोरता से प्रहार किया।

श्री बघेल आज यहां अपने निवास कार्यालय में संत कबीर जयंती पर आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने इस कार्यक्रम में कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जन संचार विश्वविद्यालय रायपुर के प्रशासनिक भवन के गेट का नामकरण संत कबीर के नाम पर किया और संत कबीर द्वार का शिलान्यास किया। उन्होंने कबीर विकास संचार अध्ययन केन्द्र द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में ‘‘संत कबीर का छत्तीसगढ़‘‘ पुस्तक का विमोचन भी किया।

उन्होने कहा कि संत कबीर और छत्तीसगढ़ का चोली-दामन का साथ है। अमरकंटक के कबीर चबूतरा में संत कबीर और गुरू नानक देव जी की भेंट हुई थी। उनका कभी छत्तीसगढ़ में पदार्पण नहीं हुआ, लेकिन उनका संदेश छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में व्याप्त है। छत्तीसगढ़ के लोगों में संत कबीर और गुरू बाबा घासीदास जी के संदेशों का व्यापक प्रभाव है, इसलिए छत्तीसगढ़ के लोग ईमानदार, संतोषी, विश्वसनीय और जीवन के अर्थ को व्यापक रूप से लेते हैं, इसीलिए हमारा छत्तीसगढ़ शांति का टापू कहलाता है। मु

श्री बघेल ने कहा कि गुरू समाज को सही रास्ते पर ले जाने का कार्य करते हैं। आज की तेज जीवन शैली में गुरूओं की वाणी हमारे जीवन में शांति ला सकती है। जीवन में आने वाली उलझनों का समाधान भी गुरूओं की वाणी में देखा जा सकता है।