
रायपुर, 24 जून।विश्व हिन्दू परिषद(विहिप) की केंद्रीय प्रबंध समिति ने विधि आयोग के ‘समान नागरिक संहिता’ (यूसीसी) पर सुझाव आमंत्रित करने का स्वागत करते हुए जल्द से जल्द देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग की है।
विहिप की आज से यहां शुरू हुई केंद्रीय प्रबंध समिति की तीन दिवसीय बैठक में केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने आज कहा कि यह संतोष की बात है कि आयोग ने इस विषय पर सभी हितधारकों से विचार आमंत्रित किए हैं। भारतीय समाज के सभी वर्गों के सुझाव प्राप्त कर एवं उन पर विचार कर शीघ्र ही यूसीसी को अधिनियमित किया जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 44 सरकारों को देश में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का निर्देश देता है।
उन्होने कहा कि यह अफसोस की बात है कि जो सांसद और विधायक “भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखने” की शपथ लेते हैं, वे संविधान के इन 73 वर्षों में भारत के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लाने में विफल रहे हैं।उन्होने कहा कि सरला मुद्गल के मामले में उच्चतम न्यायालय ने जल्द से जल्द यूसीसी को अधिनियमित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। कई उच्च न्यायालयों ने बार-बार इसकी आवश्यकता पर जोर दिया है। न्यायालय ने याद दिलाया कि अनुच्छेद 51ए के तहत, “धार्मिक विविधताओं से परे भारत के सभी लोगों के बीच सद्भाव और समान भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना” सभी नागरिकों का मौलिक कर्तव्य है।
विहिप नेता ने मुस्लिम समाज का नाम लिए बगैर कहा कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि एक धार्मिक समुदाय के व्यक्तिगत कानून महिलाओं की गरिमा, समानता और अन्य अधिकारों का गंभीर उल्लंघन करते हैं। बहुविवाह, तलाक और उत्तराधिकार के बारे में उनके प्रावधान आधुनिक समय से लगभग 1400 वर्ष पीछे हैं। इस तरह की प्रथाएं संविधान द्वारा प्रदत्त महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती हैं। इसी तरह, यूसीसी के तहत बच्चों के अधिकारों को भी संरक्षित करने की आवश्यकता है।
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