थोक बाजार में टमाटर (Tomato) की कीमत में गिरावट दर्ज की गई है। लगभग 20-25 दिन पहले टमाटर का थोक मूल्य 900 से 1000 रुपए प्रति क्रेट (25 किलो) था, जो अब घटकर 250 से 400 रुपए प्रति क्रेट पर आ गया है। इसका मतलब है कि इस अवधि में टमाटर की कीमत में 60 से 70 फीसदी की गिरावट आई है। इस गिरावट का मुख्य कारण टमाटर की नई फसल का बाजार में आना है, जिससे टमाटर की आपूर्ति बढ़ गई है और इसकी कीमतें घट गई हैं। इस स्थिति से सबसे ज्यादा प्रभावित किसान हो रहे हैं, जिन्हें टमाटर की लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है।
इस समय कई राज्यों से टमाटर की नई फसल थोक बाजारों में पहुंच रही है। यह फसल कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों से आ रही है। नई फसल के आने से बाजार में टमाटर की आपूर्ति काफी बढ़ गई है। हालांकि, जिस तेजी से टमाटर की आवक बढ़ी है, उसी अनुपात में इसकी बिक्री नहीं हो रही है, जिसके कारण टमाटर के दाम गिर गए हैं। थोक बाजार में आई इस गिरावट का असर स्थानीय बाजारों में भी देखा जा रहा है। लगभग एक महीने पहले जो टमाटर 100 रुपए प्रति किलो बिक रहा था, अब वह 30 से 50 रुपए प्रति किलो के बीच बिक रहा है। ऐसा अनुमान है कि अन्य राज्यों से भी टमाटर की आवक बढ़ने पर इसकी कीमत में और भी गिरावट आ सकती है।
किसानों पर दोहरी मार
टमाटर की कीमत गिरने से किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। पहले बारिश के कारण टमाटर की काफी फसल खराब हो गई थी। वहीं अब नई फसल की उन्हें सही कीमत नहीं मिल रही है। किसानों के मुताबिक थोक व्यापारियों पर टमाटर का काफी स्टॉक हो गया है, जिससे कारण वह इसकी अब और खरीदारी नहीं कर रहे हैं। खरीदारी न होने से किसानों को इसे कम कीमत पर बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। इसका काफी फायदा बिचौलिए भी उठा रहे हैं। जानकारों के मुताबिक अगले साल मार्च-अप्रैल तक कीमतों में सुधार की कोई संभावना दिखाई नहीं दे रही है।
सड़क पर फेंकने पड़ रहे टमाटर
टमाटर की कीमतों में भारी गिरावट के कारण किसानों के लिए लागत निकालना मुश्किल हो गया है। पहले टमाटर 30-35 रुपए प्रति किलो बिक रहे थे, जो अब घटकर 18-20 रुपए प्रति किलो हो गए हैं। उत्पादन लागत 20-22 रुपए प्रति किलो होने के कारण किसानों को नुकसान हो रहा है। उचित कीमत न मिलने से किसान टमाटर सड़क पर फेंक रहे हैं और कुछ ने फसल को खेतों में सड़ने के लिए छोड़ दिया है। हाल ही में, तमिलनाडु के किसानों ने टमाटर को सड़क पर फेंककर विरोध प्रदर्शन किया। विशेषज्ञों का मानना है कि कोल्ड स्टोरेज की सुविधा मिलने से किसानों को बेहतर कीमत मिल सकती है।