विजय दशमी के अवसर पर राजधानी की प्रमुख रामलीला कमेटियों ने इस बार कुछ नए और अत्याधुनिक बदलाव किए हैं। हर साल की तरह रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों का दहन तो होगा, लेकिन इस बार पुतलों में एक खास मैकेनिज्म लगाया गया है, जिससे वे दहन से पहले हंसते हुए नजर आएंगे। उनकी आंखों से गुस्से में लाल रोशनी निकलेगी, जो रावण और उसके भाइयों के क्रोध और अहंकार को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाएगी।
लालकिला मैदान में रामलीला मंचन करने वाली श्री धार्मिक लीला कमेटी, नवश्री धार्मिक लीला कमेटी और लव कुश रामलीला कमेटी के पुतले बनाने वाले कलाकारों ने बताया कि इस बार पुतलों में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इन पुतलों को कंप्यूटर से नियंत्रित किया जा सकेगा और एक बटन के दबते ही वे जलने लगेंगे।
इस नई व्यवस्था से रामलीला देखने वाले दर्शकों के लिए एक अलग अनुभव होगा। वहीं, पुतलों की एक और विशेषता यह है कि उनमें दिल्ली सरकार की रोक के कारण पटाखों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसके बावजूद, पुतले जब जलेंगे तो ध्वनि प्रभाव (साउंड इफेक्ट्स) के जरिए पटाखों जैसी आवाजें सुनाई देंगी, जिससे पुतले के जलने का प्रभाव पहले से ज्यादा रोमांचक और वास्तविक लगेगा।
रामलीला में कलाकारों के मंचन ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
नई दिल्ली। राजधानी में शुक्रवार को रामलीला में रावण के शक्तिशाली भाई कुंभकर्ण, पुत्र मेघनाद व अन्य छोटे पुत्रों के वध का का मंचन किया गया। इस प्रकार लंका पर विजय की ओर बढ़ रही प्रभु राम की सेना का सफर निर्णायक हो गया। कमेटियों ने राम और लक्ष्मण की वीरता, हनुमान और सुग्रीव जैसे सहयोगियों की ताकत, और राक्षस सेना के पतन को बड़े ही नाटकीय और भावनात्मक ढंग से दर्शाया गया। वहीं इन दृश्यों ने दर्शकों को बांधकर रखा।
लालकिला मैदान में रामलीला करा रही नवश्री धार्मिक लीला कमेटी, श्री धार्मिक लीला कमेटी व लवकुश रामलीला कमेटी, चिराग दिल्ली में श्री धार्मिक रामलीला दक्षिण दिल्ली, डेरावाल नगर में नवश्री मानव धर्म रामलीला कमेटी, अशोक विहार फेस-दो में आदर्श रामलीला कमेटी, वेस्ट विनोद नगर में कामधेनु रामलीला समिति, पीतमपुरा में श्री केशव रामलीला कमेटी, काेंडली में जय श्री हनुमंत रामलीला कमेटी के यहां अद्भुत दृश्य में प्रभु राम और उनकी सेना के साहस, धैर्य और समर्पण का प्रतीकात्मक चित्रण हुआ।
मंचन की शुरुआत रावण के शक्तिशाली भाई कुंभकर्ण के प्रवेश से हुई। कुंभकर्ण की भूमिका ने दर्शकों के बीच उत्सुकता पैदा कर दी। सोते कुंभकर्ण को उठाने और मंच पर आने के समय उसकी गर्जना और उपस्थिति से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। कुंभकर्ण के साथ हुए युद्ध में प्रभु राम ने अपने बाणों से उसे घेर लिया।