नई दिल्ली 08 नवम्बर।निर्वाचन आयोग ने कहा है कि किसी उम्मीदवार के आपराधिक मामलों का प्रचार करने पर होने वाला ख़र्च उम्मीदवार के चुनावी ख़र्च का हिस्सा माना जाएगा।
यह ख़र्च उम्मीदवार और उसका राजनीतिक दल उठायेगा। यह व्यवस्था उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद की गयी है।विधानसभा चुनावों के लिये पार्टी के चुनावी ख़र्च की कोई सीमा नहीं है, लेकिन उम्मीदवार का ख़र्च 20 से 28 लाख रुपये के बीच होना चाहिये।
निर्वाचन आयोग ने यह भी कहा कि नामांकन भरने के बाद आपराधिक मामले की स्थिति बदल जाती है और उम्मीदवार को चाहे तो चुनाव अधिकारी को बदली हुई स्थिति की जानकारी दे सकते हैं तथा नई स्थिति प्रकाशित करा सकते हैं।
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