नए टैरिफ ऑर्डर में उत्तराखंड विद्युत नियामक ने यूपीसीएल पर बाजार से शॉर्ट टर्म अवधि की बिजली खरीद पर पांच प्रतिशत की सीमा लागू कर दी है। इससे अधिक बिजली खरीद प्रतिबंधित करना यूपीसीएल के लिए भारी साबित हो सकता है। निगम अब इस परेशानी से बाहर निकलने का रास्ता तलाश रहा है।
यूपीसीएल इस साल 1804.6 करोड़ यूनिट बिजली आपूर्ति करेगा। हर साल आमतौर पर 80 प्रतिशत बिजली तो राज्य, केंद्रीय पूल, दीर्घकालीन अवधि, लघु अवधि के टेंडर से उपलब्ध कराई जाती है। बाकी 20 प्रतिशत बिजली शॉर्ट टर्म अवधि की होती है जिसकी आपूर्ति इंडियन एनर्जी एक्सचेंज या शॉर्ट टर्म टेंडर से की जाती है।
नियामक आयोग ने इस 20 प्रतिशत को घटाकर पांच प्रतिशत यानी करीब 90 करोड़ यूनिट कर दिया है। बाकी 15 प्रतिशत यानी करीब 270 करोड़ यूनिट बिजली की उपलब्धता अब यूपीसीएल के लिए मुसीबत बन सकता है।
किस वर्ष कितनी बिजली शॉर्ट टर्म में खरीदी
वर्ष बिजली करोड़ यूनिट में
2022-23 272.26
2023-24 360.56
2024-25 230.39 (दिसंबर 24 तक)
यूपीसीएल ने इस वर्ष 261 करोड़ की जताई थी जरूरत
वर्ष बिजली करोड़ यूनिट में
2025-26 261.29
2026-27 308.29
2027-28 372.53
टेंडर बार-बार, कंपनियों को नहीं ऐतबार
नियामक आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह बिजली 25 वर्ष के दीर्घकालीन पीपीए या 10 वर्ष के लघु अवधि के टेंडर से ली जाए। यूपीसीएल के निदेशक परियोजना अजय कुमार अग्रवाल जनसुनवाई में बता चुके हैं कि नौ बार दीर्घकालीन अवधि की खरीद के लिए टेंडर निकाले गए, लेकिन कोई कंपनी आने को तैयार नहीं हुई। लघु अवधि के लिए भी यूपीसीएल को कंपनियां नहीं मिल रही हैं। बीते दिनों में केवल एक 200 मेगावाट का सौर ऊर्जा परियोजना का पीपीए ही हो पाया है, जो कि टीएचडी के पीएसपी प्रोजेक्ट के लिए है।
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