
रायपुर 14 मई।छत्तीसगढ़ कैबिनेट की आज हुई बैठक में मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान का संचालन करने एवं कलाकारों तथा साहित्यकारों की सहायता राशि में इजाफे समेत कई निर्णय लिए गए।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय में आयोजित कैबिनेट की बैठक में मंत्रिपरिषद द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के लिए राज्य के शासकीय विद्यालयों में ‘‘मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान का संचालन करने का अहम निर्णय लिया गया।
इस अभियान के अंतर्गत शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने, पालक-शिक्षक सहभागिता बढ़ाने और शैक्षणिक उपलब्धियों को उन्नत करने के लिए कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विशेष फोकस किया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अभियान के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया जाएगा।
अभियान के तहत विद्यालयों का सामाजिक अंकेक्षण कर गुणवत्ता के आधार पर ग्रेडिंग की जाएगी। कमजोर शालाओं की नियमित मॉनीटरिंग विभिन्न विभागों के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के माध्यम से सुनिश्चित की जाएगी। मॉडल शालाओं का चयन कर, कमजोर शालाओं के शिक्षकों को वहाँ शैक्षणिक भ्रमण कराया जाएगा। पालक-शिक्षक बैठकों (पीटीएम) के माध्यम से अभिभावकों की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धियों में वृद्धि के लिए कक्षा शिक्षण प्रक्रियाओं में सुधार किया जाएगा।
साहित्य और कला के क्षेत्र में राज्य के अर्थाभावग्रस्त कलाकारों और साहित्यकारों के लिए बजट सत्र में की गई घोषणा के परिपालन में अब कलाकारों को दी जाने वाली मासिक वित्तीय सहायता (पेंशन) को 2000 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये प्रति माह करने नियम-1986 में संशोधन के प्रस्ताव का भी मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदन किया गया।
यह योजना वर्ष 1986 में प्रारंभ की गई थी, तब न्यूनतम सहायता राशि 150 रुपये और अधिकतम 600 रुपये निर्धारित थी। बाद में वर्ष 2007 में इसे बढ़ाकर 1500 रुपये और फिर 2012 में 2000 रुपये किया गया। लेकिन पिछले 12 वर्षों में कोई वृद्धि नहीं हुई थी। वर्तमान में राज्य में कुल 162 कलाकारों को यह पेंशन दी जा रही है।
मंत्रिपरिषद द्वारा प्रदेश में औद्योगिक विकास को और अधिक गति देने एवं भूमि आबंटन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम, 2015 में संशोधन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।इस संशोधन से औद्योगिक क्षेत्रों, लैंड बैंक तथा अन्य भूमि खंडों के आबंटन की प्रक्रिया में और अधिक स्पष्टता व पारदर्शिता आएगी, इससे औद्योगिक निवेशकों को भूमि आबंटन प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझने व लाभ उठाने में सुविधा होगी।