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फेक न्यूज से राज्य के साथ देश और दुनिया प्रभावित – भूपेश

रायपुर 14 फरवरी।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि वर्तमान समय में फेक न्यूज से केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं है, बल्कि पूरा देश और पूरी दुनिया भी प्रभावित,पीडि़त और चिंतित है।आज फेक न्यूज एक उद्योग बन गया है।

श्री बघेल ने आज यहां कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर के द्वारा ‘‘वर्तमान परिदृश्य में फेक न्यूज की चुनौतियां’’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में कहा कि खेद की बात है कि आज हमारे पढ़े-लिखे नौजवान फेक न्यूज से सर्वाधिक प्रभावित और पीडि़त है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि आज के युवा समाचार पत्र नहीं पढ़ते और सोशल मीडिया की खबरों को सही मान लेते हैं। मुख्यमंत्री ने फेक न्यूज के विरूद्ध लड़ाई लड़ रहे बीबीसी तथा अन्य प्रतिष्ठित मीडिया समूहों की तारीफ की और इस जनजागरण के लिए अपनी शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा नागरिकों और युवाओं से कहा कि विषय की गहराई तक जाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भ्रामक विज्ञापनों का ही असर था, जिसके कारण छत्तीसगढ़ में चिटफड़ कम्पनियां ने राज्य का नागरिकों की बेशकीमती दस हजार करोड़ रूपए की राशि लूट कर ले गए। उनके विज्ञापनों का प्रचार-प्रसार होता रहा और उनके आयोजनों में राजनीतिक लोगों की उपस्थिति भी मददगार बनीं। संगोष्ठी में प्रमुख प्रवक्ता के रूप में फेकल्टी ऑफ मास कम्युनिकेशन, एस.जी.टी. युनिवर्सिटी गुड़गांव के डीन प्रो. (डॉ.)मुकेश कुमार ने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि कहीं हम चुनाव के दरम्यान होने वाले पेड न्यूज की तरह आने वाले समय में फेक न्यूज को भी तो नहीं भूलने लगेंगे।

कार्यक्रम के अन्य प्रमुख वक्ता साइबर लॉ एक्सपर्ट नई दिल्ली विराग गुप्ता ने कहा कि जिस तरह दूध बेचने की इकोनॉमी को कोल्डड्रिंक की इकोनॉमी प्रभावित करती है और खोटे सिक्के अच्छे सिक्के को चलन से बाहर कर देते हैं। उसी तरह सही खबरों को फेक न्यूज की इकोनॉमी भी प्रभावित करती हैं। उन्होंने पूछा कि डिजिटल माहौल में फेक न्यूज को रोकने के लिए वर्तमान में राज्यों के पास अधिकार नहीं है यह अधिकार राज्यों के पास क्यों नहीं होने चाहिए ? उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में लगभग 30 प्रतिशत यूजर फेक है। ट्विटर, फेसबुक चलाने वालों में अनेक गुमनाम चेहरे हैं। व्हाट्सएप द्वारा कमाए गए हजारों करोड़ रूपए की राशि विदेश चली जाती है।

कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता के रूप में डिजिटल बीबीसी हिन्दी नई दिल्ली के संपादक राजेश प्रियदर्शी ने कहा कि फेक न्यूज महामारी की तरह एक गंभीर समस्या बन गई है, जो देश और लोकतंत्र के लिए घातक है। यह एक राष्ट्रीय समस्या है और इसका समाधान हम सभी को ढूंढना है। हमें निश्चय करना होगा कि भ्रामक, झूठे और फेक न्यूज को फारवर्ड नहीं करेंगे और इसके विरूद्ध रिपोर्ट करेंगे। कहा जाता है कि झूठ के पांव नहीं होते, लेकिन सौफेशिकेटेड सोशल मीडिया जिसमें पीछे कई बार प्रबुद्धजन भी होते हैं, के झूठ अब पंख निकलकर उड़ने लगते हैं। एक रिसर्च के अनुसार फेक न्यूज सामान्य खबरों की तुलना में 20 से 30 गुना ज्यादा तेजी से फैलती हैं, क्योंकि वे भावनात्मक रूप से हमारे दिल और दिमाग को प्रभावित करती हैं। उन्होंने बताया कि फेक न्यूज के विरूद्ध बीबीसी और प्रतिष्ठित मीडिया समूहों के द्वारा ‘बीयॉण्ड फेक न्यूज’ अभियान प्रारंभ किया गया। इसी तरह फैक्ट चेक करने के लिए एकता न्यूज के माध्यम से डेस्क भी बनाया गया है।

श्री प्रियदर्शी ने कहा फेक न्यूज इसलिए फैलती है, क्योंकि लोग समाचार के स्रोत को नहीं देखते तथा आसपास के या परिचित लोग के सोशल मीडिया से प्राप्त होने वाले भ्रामक जानकारी को सही मान लेते हैं। उन्होंने कहा अगर भावनाओं से हिंसा फैलती है, तो केवल हथियार चलाने वाले के हाथ खून से नहीं रंगते, बल्कि सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसी खबरों को फैलाने वाले के उंगलियों पर भी खून के धब्बे लगते हैं।