उद्धव को भगवान श्रीकृष्ण के मित्र और भक्त के रूप में जाना जाता है। उद्धव जी बहुत ज्ञानी थे, इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों को समझाने के लिए उन्हें बृज भेजा था। अंत में गोपियां भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपनी प्रेम और भक्ति से उद्धव को ही मोहित कर लेती हैं। गोपियों और उद्धव का प्रसंग आज भी लोगों को प्रेरणा देना का काम करता है। चलिए जानते हैं इस बारे में।
इसलिए उद्धव को भेजा
गोपियां भगवान श्रीकृष्ण को दिन-रात याद करती थीं। भगवान श्रीकृष्ण जानते थे कि अगर वह वापिस जाएंगे, तो गोपियां और राधा जी, उन्हें कभी मथुरा नहीं लौटने देंगे। तब उन्होंने उद्धव को गोपियों को ज्ञान और वैराग्य का उपदेश देने के लिए बृज भेजा। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण उद्धव को भी प्रेम का असली अर्थ समझाना चाहते थे, जो उन्हें गोपियों के पास जाकर ही मिल सकता था। उद्धव को लगा कि वह भोली-भाली गोपियों को आसानी से समझा लेंगे।
उद्धव ने समझाई ये बातें
जब उद्धव वृंदावन पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि गोपियां भगवान श्री कृष्ण के वियोग में दुखी हैं। उन्होंने गोपियों को ज्ञान, योग और निर्गुण ब्रह्म का उपदेश देना शुरू किया और कहा कि भगवान किसी एक जगह नहीं हैं, बल्कि निराकार रूप में सभी जगहों पर बसे हुए हैं।
लेकिन तब भी गोपियों की आंख से आंसू बहते रहे और उन्होंने उद्धव से कहा कि कृष्ण जी के बिना उनके लिए ज्ञान और वैराग्य का कोई काम नहीं है और हमें केवल उनका दर्शन ही चाहिए। गोपियां यह कहते हुए उद्धव द्वारा बताई गईं बातों को स्वीकार करने से मना कर देती हैं।
गोपियों ने कहीं ये बातें
गोपियां उद्धव को “बड़भागी” कहकर व्यंग्य करती हैं, क्योंकि वह भगवान श्रीकृष्ण के साथ रहने के बाद भी उनके प्रेम का सही से अनुभव न कर सके। गोपियों के भगवान के प्रति इस अटूट भक्ति और प्रेम को देखकर उद्धव अपना सारा ज्ञान भूल जाते हैं और भूल भावों से भर जाते हैं। अंत में उद्धव गोपियों को प्रणाम करते हुए मथुरा लौटते हैं।
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