मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। राज्य में 236 शिक्षकों की भर्ती अचानक रुक गई, जिससे एक बड़ा बखेड़ा खड़ा हो गया। मंत्री का कहना है कि हमने समय पर सूची आगे बढ़ा दी थी। वहीं, उच्च अधिकारियों के अनुसार, सूची पर मंत्री के हस्ताक्षर ही नहीं थे।
मध्य प्रदेश में शिक्षकों के तबादले की सूची के साथ हुई लापरवाही के बाद अब जांच के आदेश दिए गए हैं। मगर मामला काफी पेचीदा है।
मंत्री ने ओएसडी को दी जिम्मेदारी
दरअसल राज्य में शिक्षकों के तबादले का अधिकार राज्य सरकार ने जिले के प्रभारी मंत्रियों को सौंपा है। रायसेन जिले में यह जिम्मेदारी एमपी के मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास राज्यमंत्री नारायण सिंह पंवार के पास है। हालांकि मंत्री ने शिक्षकों के तबादले का जिम्मा अपने विशेष सहायक (ओएसडी) को दे दिया।
अधिकारियों ने नहीं किए हस्ताक्षर
आमतौर पर शिक्षकों का तबादला करने के लिए ट्रांसफर लिस्ट पर प्रभारी मंत्री, कलेक्टर और डीईओ के साइन होने चाहिए। मगर रायसेन में जब तबादला सूची कलेक्टर ऑफिस पहुंची, तो उसपर मंत्री के हस्ताक्षर न देखकर अधिकारियों को शक हुआ कि कहीं यह सूची नकली तो नहीं है। ऐसे में अगर उन्होंने इसपर साइन किया तो फंस सकते हैं। यही वजह है कि कलेक्टर और डीईओ ने सूची पर साइन नहीं किया।
17 जून को खत्म हुई समयसीमा
17 जून को तबादले की समय सीमा निर्धारित की गई थी। ऐसे में जब 17 जून तक तबादला नहीं हुआ तो रायसेन जिले में हड़कंप मच गया। वहीं, मंत्री पंवार का कहना है कि उनके कार्यालय ने समय पर सूची कलेक्टर ऑफिस भिजवा दी थी। अब वो इस मामले को शासन स्तर पर उठाने का प्रयास कर रहे हैं। मंत्री पंवार के ओएसडी अभिषेक चौरसिया का कहना है-
मंत्री जी की जानकारी में सूची आगे बढ़ाई गई थी। इस बारे में मंत्री से पूछें तो वे बेहतर बता पाएंगे कि सूची उनकी जानकारी में गई है या बिना जानकारी के।
डीईओ ने क्या कहा?
रायसेन के डीईओ डीडी रजक ने इस मामले में कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया। उन्होंने यह जरूर कहा कि लोक शिक्षण संचालनालय से जांच की जा रही है। जांच में सब सामने आ जाएगा।
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