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राज्यपाल का सामाजिक परिवर्तन के लिए संकल्प लेने का आह्वान

रायपुर 04 मार्च।छत्तीसगढ़ के कुलाधिपति एवं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से सामाजिक परिवर्तन के लिए कोई एक संकल्प लेने का आह्वान किया।

श्रीमती पटेल ने आज पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के 24वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सामाजिक परिवर्तन का यह एक संकल्प बाल विवाह को रोकना, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना आदि कुछ भी हो सकता है।उन्होंने कहा कि जीवन ऐसा बनाए जो दूसरों के लिए अनुकरणीय हो। अगर हम सारे देश में ऐसा कर पाएं तो अगले दस वर्षों में भारत फिर विश्व गुरू बन जाएगा।

राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों को मात्र शासकीय सेवा में ही अपना भविष्य नहीं खोजना चाहिए। वे कौशल विकास का प्रशिक्षण लेकर स्वरोजगार स्थापित करें। स्वयं भी स्वावलंबी बने और दूसरों को भी रोजगार दें। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जिसके माध्यम से आत्मविश्वास पैदा हो। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को इस प्रकार कर्त्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए ताकि उनको नियोजित करने वाला उस शिक्षण संस्था की तारीफ करे जहां से उन्होंने शिक्षा प्राप्त की है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि देश महात्मा गांधी के 150वीं वर्षगाठ मना रहा है, और यह अच्छा संयोग है कि गांधी जी के प्रपौत्र श्री गोपाल कृष्ण गांधी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का मानना था कि भारत गांवों में बसता है और वे गांवों को स्वावलंबी बनाना चाहते थे। छत्तीसगढ़ सरकार महत्मा गांधी के आदर्शों और सपनों के अनुरूप कार्य कर रही है और इसी पथ पर चलते हुए गांव के विकास के लिए नरवा, गरूवा, घुरूवा और बारी को आधार बनाकर योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण होने के पश्चात युवाओं के समक्ष सबसे पहले चुनौती रोजगार की होती है। राज्य सरकार ने इसे ध्यान मे रखते हुए निर्णय लिया है कि नया रायपुर में सॉफ्टवेयर पार्क बनाया जाएगा। इसी तरह हर जिले में फूड पार्क की स्थापना करेंगे साथ ही प्रदेश में वनौषधि पर आधारित उद्योग लगाए जाएंगे। इससे युवाओें को रोजगार मिलेगा और व्यवसाय भी फलेगा-फूलेगा।

मुख्य अतिथि गोपाल कृष्ण गांधी ने उपाधि एवं स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि इन विद्यार्थियों में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल है, करीब 20 से 25 साल पहले यह स्थिति नहीं थी। यह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की उत्तरोत्तर प्रगति का परिचायक है।उन्होंने कहा कि पूरे भारत में 36 राज्य है और उन्हें लगता है कि छत्तीसगढ़ में पूरे भारत वर्ष की झलक तथा भारत में छत्तीसगढ़ की झलक दिखाई देती है। अनेकता में एकता और विविधता हमारी पहचान है।

उन्होंने कहा कि खेद की बात है कि आज भी हमारे देश में कई प्रकार की असमानता है, जैसे अमीरी-गरीबी, साक्षरता-निरक्षरता, लैंगिंक असमानता और अंग्रेजी जानने या नहीं जानने वाले तथा डिजिटल या अन्य प्रकार की। यह असमानताएं देश को कमजोर बनाती है और देश को इनसे खतरा है।एकजुट होकर इन्हें दूर करने की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि देश के सामने सबसे ज्वलंत समस्या बेरोजगारी है।युवाओं को पढ़ने-लिखने के बाद भी आवश्यकतानुसार रोजगार नहीं मिल पाता है, जिसके कारण समाज में मायूसी उत्पन्न हो होती है।इसे दूर करने के लिए समुचित कदम उठाने और स्वरोजगार के अवसर पैदा करने की जरूरत है।