छत्तीसगढ़ के सुदूर और संवेदनशील बस्तर संभाग में बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) ने लोगों की राह आसान की है। देश की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाने वाला बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) अब विकास की तस्वीर भी बदल रहा है। सुकमा जिले के नक्सल बहुल क्षेत्र पुवर्ती के करीब सिलगेर मार्ग पर बीआरओ ने एक मजबूत बेली ब्रिज का निर्माण कर इस बात को साबित कर दिया है। दशकों से जो रास्ता मानसून में मौत का जाल बन जाता था, आज वह लोहे के पुल पर मजबूती से टिका खड़ा है।
पिछले कई वर्षों से पुवर्ती और आसपास के गांवों के निवासियों को हर बारिश में नदी पार करने के लिए जान जोखिम में डालनी पड़ती थी। अस्थाई लकड़ी के चाचर या खुद बहाव में उतर कर लोग जिंदगी को दांव पर लगा रहे थे। अब 15 मीटर लंबे बेली ब्रिज ने वह संकट समाप्त कर दिया है। सिलगेर से लेकर पुवर्ती, तिम्मापुरम, गोल्लाकोंडा, टेकलगुड़ा, जब्बागट्टा और तुमलपाड़ तक के लोग अब हर मौसम में निर्बाध रूप से आवागमन कर सकते हैं।
यह इलाका उस हिड़मा का गढ़ माना जाता है, जो नक्सली नेटवर्क का एक कुख्यात चेहरा है। ऐसे में यहां निर्माण कार्य को पूरा करना किसी चुनौती से कम नहीं था। सुरक्षा बलों की निगरानी में बीआरओ के इंजीनियरों और मजदूरों ने बिना प्रचार के बेहद तेजी से निर्माण कार्य को अंजाम दिया। लोहे के ढांचे से बने इस पुल को जल्दी तैयार किया जा सकता है और यह इलाके की बनावट के लिए बेहद उपयुक्त भी है।
केंद्र सरकार ने इस इलाके को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए 2024-25 में 66 करोड़ 74 लाख रुपये की लागत से 64 किलोमीटर की सड़क परियोजना को मंजूरी दी थी। इसमें एलमागुड़ा से पुवर्ती तक की 51 किलोमीटर सड़क का कार्य सबसे अहम माना जा रहा है, जिसकी लागत करीब 53 करोड़ रुपये है। इस सड़क का सीधा लाभ उन गांवों को मिलेगा जो आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।
ग्रामीण बोले – अब डर नहीं, उम्मीद है
स्थानीय निवासी भीमा, नंदा और सुक्को का कहना है कि, “पहले यहां आने-जाने में जान की बाजी लगानी पड़ती थी। न कोई पुल था, न कोई साधन। बरसात में बच्चे स्कूल नहीं जा पाते थे और बीमार को लेकर अस्पताल ले जाना असंभव था। अब इस पुल से गांव जुड़ गया है, अब डर नहीं लगता।”
नक्सल गढ़ में बदलाव की बयार
पिछले कुछ वर्षों से क्षेत्र में लगातार कैंप खोले जा रहे हैं। सड़कें, बिजली, स्कूल और स्वास्थ्य सुविधाएं धीरे-धीरे पहुंच रही हैं। बेली ब्रिज उस परिवर्तन का संकेत है, जो वर्षों की हिंसा और अलगाव के बाद अब विकास के नाम पर हो रहा है।
जनप्रतिनिधियों ने सराहा प्रयास
इस मौके पर जिला पंचायत सदस्य कोरसा सन्नू ने कहा कि, ‘ये केवल पुल नहीं है, यह एक प्रतीक है विश्वास का, सुशासन का और बदलाव का। मोदी सरकार और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की नीति अब धरातल पर नजर आ रही है। मार्च 2026 तक नक्सलवाद पर निर्णायक वार करने की रणनीति में ये एक अहम मील का पत्थर है।’
CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India