कृषि विभाग का दावा है कि हर जिले में सात से 10 दिन का यूरिया का स्टॉक मौजूद है। जबकि, हकीकत यह है कि यूरिया के लिए कहीं प्रदर्शन हो रहा है तो कहीं किसान कतार में खड़े नजर आ रहे हैं। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक करीब 16 लाख मीट्रिक टन खाद उपलब्ध है, जिसमें करीब छह लाख मीट्रिक टन यूरिया मौजूद है। कई कंपनियों की रैक रास्ते में है, जो दो दिन में पहुंच जाएंगी।
पुलिस की मौजूदगी में बंटवाई खाद
सिद्धार्थनगर में टोकन की व्यवस्था से खाद बांटी जा रही है। बृहस्पतिवार को 1600 मीट्रिक टम अतिरिक्त यूरिया पहुंच रही है। साधन सहकारी समिति बेल्टीकर पर मंगलवार को राजस्व निरीक्षक और पुलिस की मौजूदगी में खाद बंटवाई गई। यहां की सहकारी समिति सेहुड़ा कटहना सहित अन्य समितियों पर अभी तक खाद नहीं पहुंची है। ऐसे में दूसरी समितियों पर भीड़ लग रही है। महराजगंज जिले में एक ही किसान अलग- अलग समिति पर यूरिया के लिए लाइन लगाए देखे गए हैं। इस वजह से भी समस्या बढ़ी है। देवरिया में161 समितियों पर अभी तक 17 हजार के सापेक्ष 15,636 मीट्रिक टन खाद भेजी गई है। इस वजह से यहां किसानों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
जुलाई में ही बंट गई 56 प्रतिशत ज्यादा खाद
बस्ती में मंगलवार को कई स्थानों पर पीओएस मशीन का सर्वर प्रभावित रहा, जिसकी वजह से खाद का वितरण नहीं हो पाया। जिले में 24 जुलाई तक वितरण लक्ष्य की अपेक्षा 56 प्रतिशत अधिक बांट का वितरण हो गया। जांच के दौरान पता चला कि वितरण में बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी।
बीडीओ की मौजूदगी में बंटी खाद
सोनभद्र के कोन ब्लाक में मंगलवार को एआर कोआपरेटिव देवेंद्र प्रताप सिंह व बीडीओ जितेंद्र नाथ दुबे की मौजूदगी में यूरिया बंटवाई गई। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस भी मौजूद रही। दिनभर में करीब 200 किसानों को खाद मिली, जबकि 300 से अधिक लौट गए। समितियों पर 267 रुपये प्रति बोरी मिलने वाली यूरिया निजी दुकानदार 400 से 500 रुपये में बेच रहे हैं। किसानों को जिंक या सल्फर भी थमाया जा रहा है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
कृषि और सहकारिता विभाग के अधिकारियों के साथ खाद वितरण को लेकर बैठक की गई है। निजी कंपनियों से लगातार बात की जा रही है। दो दिन में अतिरिक्त रैक आ जाएगी। अभी भी जिलों में पर्याप्त खाद मौजूद है। किसानों से अपील है कि वे परेशान न हों। अपनी जरूरत के हिसाब से ही खाद लें। घर में न रखें। किसानों को सब्सिडी वाले उर्वरकों आसानी से मिलते रहे, इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। जिला स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत किया जा रहा है।
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