शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) का गठजोड़ को करारी शिकस्त मिली है। इस चुनाव में दोनों पार्टियों के पैनल ने सभी 21 सीटें गंवा दीं। यह गठबंधन बीईएसटी कर्मचारी सहकारी क्रेडिट सोसाइटी के चुनाव में एक मंच पर आया था।
यह चुनाव मुंबई की बीईएसटी (बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट) के कर्मचारियों से जुड़ी इस हाई-प्रोफाइल क्रेडिट सोसाइटी के लिए हुआ था, जिसे दोनों पार्टियों ने एक साथ मिलकर लड़ा था।
चुनाव में धनबल का बोलबाला
सोमवार को वोटिंग हुई और मंगलवार से देर रात तक मतगणना चली। इस चुनाव में शशांक राव के पैनल ने सबसे ज्यादा 14 सीटें हासिल कीं। सुहास सामंत ने हारने का बाद कहा, “इस चुनाव में पैसों का जोर चला है।”
नेता संदीप देशपांडे ने भी सोमवार को आरोप लगाया था कि बीईएसटी क्रेडिट सोसाइटी के चुनाव में वोटरों को लुभाने के लिए पैसों का इस्तेमाल हुआ। दोनों पार्टियों ने ‘उत्कर्ष’ नाम से एक पैनल बनाया था, जिसमें शिवसेना (यूबीटी) के 18, एमएनएस के 2 और अनुसूचित जाति-जनजाति संगठन का 1 उम्मीदवार शामिल था।
संभावित गठबंधन की हकीकत आई सामने
यह चुनाव उस वक्त हुआ, जब शिवसेना (यूबीटी) और एमएनएस के बीच आगामी स्थानीय निकाय चुनावों, खासकर बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) जैसे प्रभावशाली निकायों के लिए गठबंधन की अटकलें जोरों पर थीं।
इसके साथ ही, यह दोनों पार्टियों के बीच एकता का राजनीतिक संदेश देने का भी मौका था। बीजेपी एमएलसी प्रसाद लाड ने इस चुनाव के लिए ‘सहकार समृद्धि’ पैनल की घोषणा की थी। कुल पांच पैनल मैदान में थे, जिनमें शशांक राव का पैनल और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना से जुड़ा एक यूनियन भी शामिल था।
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