जीएसटी दरों में बड़ी कटौती के बाद क्या त्योहारी सीजन में होम लोन और कार लोन पर ब्याज दरें भी कम होंगी? इस सवाल का जवाब 1 अक्तूबर को सुबह 10 बजे मिल जाएगा, लेकिन इस पर निर्णय लेने के लिए आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक आज 29 सितंबर से शुरू हो गई है। 3 दिवसीय यह मीटिंग 1 अक्टूबर को समाप्त होगी, जिसमें भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा रेपो रेट का ऐलान करेंगे। विश्लेषकों का अनुमान है कि इस बार RBI मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में यथास्थिति बनाए रखेगा यानी ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम है। हालांकि, ब्रोकरेज फर्म नुवामा के अनुसार, दरों में कटौती की संभावना अभी भी बनी हुई है।
ब्रोकरेज फर्म को कटौती की उम्मीद क्यों?
नुवामा ने कहा कि कमजोर डिमांड, ऊंची ब्याज दरें और कम होती महंगाई के कारण मौद्रिक नीति में ढील की जरूरत है, लेकिन आरबीआई यह फैसला लेने से पहले जीएसटी दरों में हालिया कटौती के मांग पर पड़ने वाले प्रभाव का इंतजार करना और उसका आकलन करना बेहतर समझेगा। ब्रोकरेज नोट में कहा गया है, “मुद्रास्फीति अब तक आरबीआई के लक्ष्य सीमा के भीतर रही है, लेकिन इस साल के अंत में इसमें थोड़ी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। आरबीआई ने यह भी संकेत दिया है कि वह आगे की दरों में कटौती पर विचार करने से पहले पहले की गई दरों में कटौती का पूरा लाभ देखना चाहता है।”
बाहरी जोखिमों पर भी होगी नजर
नुवामा के अनुसार, आरबीआई बाहरी जोखिमों पर भी नज़र रखेगा। शेयर मार्केट में भारी बिकवाली और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारतीय रुपया दबाव में रहा है। इस कारणों को ध्यान में रखते हुए आरबीआई निकट भविष्य में ब्याज दरों में कटौती की बजाय मुद्रा स्थिरता को प्राथमिकता दे सकता है।
जीएसटी में बड़ी कटौती, लेकिन यह पर्याप्त नहीं
निकट भविष्य की सावधानी के बावजूद, नुवामा ने कहा कि ब्याज दरों में और कटौती ज़रूरी है। वित्त वर्ष 2026 तक माँग की स्थिति कमज़ोर रहने की संभावना है, क्योंकि ट्रम्प द्वारा लगाए गए टैरिफ वैश्विक विकास को धीमा कर सकते हैं और भारत के निर्यात और रोज़गार को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
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