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छत्तीसगढ़ में एनआईए ने किया माओवादी समूह के लिए धन जुटाने वालों का पर्दाफाश

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने छत्तीसगढ़ में प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) की आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने से जुड़े एक मामले में चार और आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है। तीन आरोपियों की पहचान सुनीता पोटाम, शंकर मुचाकी और दशरथ उर्फ दसरू मोडियम के रूप में हुई है। ये सभी मूलवासी बचाओ मंच (एमबीएम) के पदाधिकारी थे, जो सीपीआई (माओवादी) का एक प्रमुख संगठन है।

एमबीएम को छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में छत्तीसगढ़ विशेष जन सुरक्षा अधिनियम, 2005 की धारा 3 (1) के तहत प्रतिबंधित भी कर दिया था। चौथा आरोपी, मल्लेश कुंजाम, सीपीआई (माओवादी) का एक सशस्त्र कार्यकर्ता था और अभी भी फरार है।

एनआईए की जांच के अनुसार, चारों आरोपी सीपीआई (माओवादी) के लिए धन संग्रह, भंडारण और वितरण जैसी गतिविधियों में शामिल थे। संगठन ने इस धन का इस्तेमाल लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार और राज्य में चल रही विकास गतिविधियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए किया। इस अवैध धन को एमबीएम जैसे प्रमुख संगठन के माध्यम से प्रसारित किया जा रहा था।

इस मामले में अब तक कुल छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। फरार मल्लेश समेत सात आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है। बीजापुर पुलिस ने शुरुआत में नवंबर 2023 में दो आरोपियों, गजेंद्र माडवी और लक्ष्मण कुंजम के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। पुलिस ने मई 2023 में एमबीएम के दोनों ओवरग्राउंड वर्कर/सदस्यों, गजेंद्र और लक्ष्मण से 6 लाख रुपये की बरामदगी के बाद मामला दर्ज किया था। वे सीपीआई (माओवादी) नेताओं के कहने पर विभिन्न बैंक खातों में धनराशि जमा करने जा रहे थे, तभी उन्हें पकड़ लिया गया।

फरवरी 2024 में मामले को अपने हाथ में लेने वाली एनआईए ने अगस्त 2025 में पहला पूरक आरोपपत्र दाखिल किया। गजेंद्र और लक्ष्मण के खिलाफ नए आरोप दायर किए गए और उस आरोपपत्र में एक अन्य आरोपी रघु मिदियामी पर भी आरोप लगाए गए। एनआईए इस मामले आरसी-02/2023/एनआईए/आरपीआर में अपनी जाँच जारी रखे हुए है।