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कोरोना संक्रमित मरीजो के इलाज में निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन नही- जोगी

रायपुर 20 अप्रैल।जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने राज्य में कोरोना संक्रमित मरीजो के इलाज में निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन नही किए जाने की आशंका जताई है।

श्री जोगी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि कोरोनावायरस एक महामारी बन गया है,कि संक्रमित होने वाले अधिकांश लोगो को कोई लक्षण नहीं दिखाते हैं। इसी वजह से कोरोना-परीक्षण प्रोटोकॉल के अनुसार संदिग्ध प्रकरण की 14 दिनों के दौरान कम से कम तीन बार जाँच की जानी चाहिए और तीनों टेस्ट के नेगेटिव आने के बाद ही उसे कोरोना-मुक्त घोषित किया जा सकता है।लेकिन राज्य नियंत्रण और कमांड सेंटर द्वारा 18 अप्रैल तक जारी डेटा के मुताबिक एम्स  रायपुर ने 36 में से 25 कोरोना मरीज़ों को औसतन पांच दिनों से भी कम समय में ही ठीक कर दिया।

उन्होने प्राप्त जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि उनके उपचार के दौरान इनमें से केवल एक (पेशंट ज़ीरो) को दो दिनों तक वेंटिलेटर-सपोर्ट पर रखा गया था और सभी को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, एजिथ्रोमाइसिन इत्यादि की खुराक दी गई थी।श्री जोगी ने कहा कि हम स्वास्थ्य कर्मियों की क्षमता पर सवाल नहीं उठा रहे हैं लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा रहा है। डब्ल्यूएचओ,आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय को इसका संज्ञान लेकर देखना चाहिए कि कहीं कोई चिकित्सकीय लापरवाही तो नहीं हुई है?

श्री जोगी ने करोना बचाव के लिए किए जा रहे छत्तीसगढ़ के सभी नगर निगमों में छिड़काव पर सवाल उठाते हुए कहा कि अधिकांश निगमों द्वारा इसके विपरीत 50% से भी कम की स्पिरिट के घोल का छिड़काव किया जा रहा है जो कि अप्रभावी है। इस से संभवतः राज्य में  143 करोड़ का अपव्यय हुआ है।श्री जोगी ने कहा कि अधिकांश संदिग्ध प्रकरणों, जिनमें 23 तबलीगी (सरगुजा के 11 और कोरबा के 12) भी शामिल हैं, की पर्याप्त जाँच नहीं की गई और 36 तबलीगियों को केवल एक सैम्पल-रिपोर्ट के आधार पर तीन दिनों में ही नेगेटिव घोषित कर दिया गया जबकि निर्धारित टेस्टिंग मापदंडों के अनुसार 14 दिनों में कम से कम तीन सैम्पल-रिपोर्ट के बाद ही ऐसा किया जाना था।