नक्सलियों के खिलाफ लगातार चलाये जा रहे अभियान के चलते नक्सली संगठन कमजोर होते जा रहे हैं, एक-एक कर नक्सलियों की टीम कमजोर होकर अपने दल का साथ छोड़कर पुलिस की खुली विचारधारा में जुड़कर अपने लिए आगे के मार्ग को खोल रही है। इसी अभियान को देखते हुए दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के सदस्य मंडा रूबेन ने तेलंगाना में जाकर आत्मसमर्पण कर दिया, जिसके चलते नक्सलियों की टीम और भी कमजोर हो गई है, बताया जा रहा है कि इसी नक्सली ने कई वर्ष पहले दंतेवाड़ा की जेल में अपने चार साथियों के साथ मिलकर भाग निकलने में सफल भी हुआ था।
तेलंगाना पुलिस ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि बस्तर के एक और बड़े नक्सली कमांडर मंडा रूबेन उर्फ सुरेश ने तेलंगाना में आकर सरेंडर करते हुए लाल गलियारे से अपने आप को अलग कर लिया है, नक्सलियों के खिलाफ लगातार पूरे छत्तीसगढ़ में चलाए जा रहे अभियान के चलते अब बस्तर के नक्सली वहां ना जाकर दूसरे राज्यों में आत्मसमर्पण कर रहे हैं।
नक्सली कमांडर मंडा रूबेन नक्सलियों के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य होने के साथ ही नक्सलियों के दक्षिण बस्तर डिविजनल कमेंटी का सचिव भी था, 67 साल का रूबेन बीते 44 वर्षों से नक्सल संगठन में सक्रिय था, जिसने नक्सलियों के खिलाफ अभियान में अपने साथियों की मौत व संगठन को कमजोर होता देख अन्य नक्सलियों के द्वारा किये जा रहे सरेंडर को देखते हुए अपना मन बनाने के बाद छत्तीसगढ़ की जगह तेलंगाना में सरेंडर किया है।
दंतेवाड़ा जेल ब्रेक का था मास्टरमाइंड
रूबेन को 1991 में पुलिस ने गिरफ्तार कर दंतेवाड़ा जेल भेज दिया था, करीब 1 वर्ष जेल में बिताने के बाद रुबेन ने अपने साथियों के साथ जेल से भागने का प्लान बनाया और इस घटना को अंजाम दिया, रुबेन ने अपने 4 साथियों के साथ भागने का प्लान बनाते हुए छत को काटा, टॉवेल से रस्सी बना जेल से फरार हो गए, इस मामले को दंतेवाड़ा जेल ब्रेक के नाम से भी जाना जाता है।