मध्य प्रदेश और राजस्थान में जहरीले कफ सीरप से बच्चों की मौत हो गई। इस घटना के बाद बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत से स्पष्टीकरण मांगा कि क्या ये दवाइयां अन्य देशों को भी निर्यात की गई थीं। जिसके बाद अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत में बच्चों की मौत से जुड़े विषाक्त कफ सीरप को अमेरिका नहीं भेजा गया है।
दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि भारत में स्थानीय स्तर पर बिकने वाली कफ सीरप दवाओं की जांच में “नियामकीय खामियां” हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की ओर से भारत से स्पष्टीकरण मांगा गया कि क्या देश में बच्चों की मौत से जुड़ा कफ सीरप नियमित प्रक्रिया के तहत दूसरे देशों को निर्यात किया गया था?
अमेरिका में नहीं भेजे गए विषाक्त कफ सीरप
अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने शुक्रवार को पुष्टि की कि भारत में बच्चों की मौत से जुड़े जहरीले कफ सीरप अमेरिका नहीं भेजे गए हैं। अमेरिकी FDA ने कहा कि उसे भारत में बच्चों की खांसी और जुकाम की दवाओं में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल के कारण विषाक्त होने के खबरों की जानकारी है।
अमेरिका में जाने से पहले FDA अलर्ट
एफडीए ने कहा कि भारत के स्वास्थ्य प्राधिकरण, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने अमेरिकी नियामक को सूचित किया है कि इन उत्पादों का भारत से किसी अन्य देश को निर्यात नहीं किया जा रहा है। एफडीए ने यह भी बताया कि वह इस तरह की जहरीली दवाओं को अमेरिका में प्रवेश करने से रोकने के लिए सतर्क है। इसके साथ ही निर्माताओं से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि अमेरिका में बेची जाने वाली दवाएं सुरक्षित और उच्चतम गुणवत्ता वाली हों।
अधिकारियों के अनुसार, पिछले एक महीने में भारत में विषाक्त डायथिलीन ग्लाइकॉल युक्त खांसी की दवा लेने के चलते बच्चों की मौत हुई। जिसमें अनुमानित सीमा से अधिक मात्रा में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया। जो कोल्ड्रिफ कफ सीरप में पाईं गईं। भारतीय अधिकारियों ने लोगों को कोल्ड्रिफ कफ सीरप के साथ दो और ब्रांड से बचने की सलाह दी है।
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