शहर से 40 किमी दूर स्थित तीरथगढ़ जलप्रपात की खूबसूरती को देखने के लिए रोजाना हजारों की संख्या में लोग पहुंच कर वहां पर मस्ती करते हुए नजर आ रहे है, इसके अलावा कई बार हादसों के बाद भी पर्यटकों के द्वारा सबक नहीं लिया जा रहा है, जहां छोटे बच्चों को लेकर लोग पत्थरों के ऊपर चढ़कर फोटो व वीडियो आदि बना रहे है, इस वाटरफॉल तक आने के लिए 3 नाकों में पैसे देने के साथ ही इसे पार तो किया जा रहा है। लेकिन सुरक्षा के नाम पर पर्यटकों को कुछ भी नही मिल रहा है। जिससे कई बार लोगों को अपनी जान तक गवानी पड़ी है, बात करें तो अभी एक जून को ही विशाखापत्तनम के एक युवक के द्वारा सेल्फी लेने के दौरान अपनी जान को गवानी पड़ी थी।
बता दें कि ठंड के मौसम शुरू होते ही बस्तर के वाटरफॉल की खूबसूरती को निहारने के लिए ना सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि विदेशों से भी काफी पर्यटक आते है, ऐसे में इन पर्यटकों को सुरक्षा के नाम पर कुछ भी नही मिल पा रहा है। तीरथगढ़ पहुंचने से पहले गांव के समिति द्वारा एक नाका बनाया गया है, जहां प्रति बाइक का 20 रुपये चार्ज लिया जाता है, जबकि उसे पर करने पर कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के द्वारा एक और नाका बनाया गया है। जहां प्रति व्यक्ति का 50 रुपये चार्ज लिया जाता है।
इसके बाद जैसे ही तीरथगढ़ जलप्रपात देखने के लिए नीचे उतरा जाता है तो वहां एक और नाका तैयार है, जहां बैठने वाले लोग पानी का बोतल, खाने पीने के समान आदि को चेक करने के बाद उसका चार्ज लिया जाता है कि नीचे जाकर गंदगी न करें, अगर अपने साथ ले जाने वाले सामानों को इधर-उधर न फेंक वापस लाने पर कुछ पैसे वापस दिए जाते हैं। लेकिन इस वाटरफॉल के पास जाने पर सुरक्षा के नाम पर कुछ भी नहीं मिलता है।
स्टील का रेलिंग भी तोड़ दी
वाटरफॉल पहुंचने के बाद लोग उत्सुकता से पत्थर के ऊपर झरने में जाकर फोटो व वीडियो बना रहे है। लेकिन उन्हें वहां तक जाने से किसी भी प्रकार से कोई भी नही रोक रहा है, वहां कुछ दिन पहले स्टील की रिलीज बनाई गई थी। लेकिन उसे भी तोड़ दिया गया है।
छोटे बच्चों की भी जान की परवाह नहीं परिजनों को
देखा जाए तो झरने से लगातार बारिश के कारण पत्थरों में काई आदि जम गए हैं, ऐसे में पानी में जाने से फिसल रहे हैं। लेकिन लोग अपने जान के साथ ही छोटे बच्चों को लेकर भी पानी में जाकर मस्ती करते नजर आ रहे है। लोग अपने साथ ही साथ बच्चों के जान को भी जोखिम में डाल रहे हैं।
नहीं दिखी सुरक्षा व्यवस्था
वाटरफॉल जाने के बाद वहां पर नहाने के साथ ही पत्थरों में चढ़ने वाले लोगों को किसी भी तरह से रोकने वाला कोई नहीं है, कई बार बड़े हादसे होने के बाद भी सुरक्षा व्यवस्था नही दिखाई दे रही है।
विशाखापत्तनम के युवक ने गवाई थी जान
1 जून को 1 ही परिवार के 23 लोग छुट्टी मनाने के लिए विशाखापत्तनम से ट्रैन व कैब के माध्यम से जगदलपुर के तीरथगढ़ आये हुए थे। जहां मेरीवा साईं पवन सात्विक अपने फोन को लेकर झरने के ऊपर चढ़कर फोटो व वीडियो बनाने लगा। जहां अचानक से पैर फिसलने से ऊपर से सीधा कुंड में जा गिरा, जहां उसकी मौत हो गई।
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