
रायपुर, 2 नवम्बर।छत्तीसगढ़ में देवउठनी एकादशी के पावन अवसर पर मुख्यमंत्री निवास में श्रद्धा, भक्ति और पारंपरिक विधि-विधान के साथ तुलसी विवाह का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय ने माता तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह संपन्न कराया तथा सपरिवार पूजा-अर्चना की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि देवउठनी एकादशी धर्म, अध्यात्म और प्रकृति के संतुलन का प्रतीक है। भगवान श्री विष्णु के योगनिद्रा से जागरण के साथ ही शुभ कार्यों की पुनः शुरुआत होती है। तुलसी विवाह समाज में पवित्रता, सौहार्द और एकता की भावना को प्रबल करता है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ की लोक परंपराओं में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। यह पर्व परिवार, समाज और प्रकृति के बीच सामंजस्य और संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है। हमारी लोक संस्कृति में तुलसी विवाह को पवित्रता और समर्पण का प्रतीक माना गया है, जो जीवन में सात्त्विकता और सद्भावना का संचार करता है।
प्रदेशवासियों के सुख, शांति, समृद्धि और आरोग्यता की मंगलकामना करते हुए श्री साय ने कहा कि भगवान श्री विष्णु और माता तुलसी की कृपा से सबके जीवन में सुख-समृद्धि, सौहार्द और मंगलमय ऊर्जा का संचार हो।उन्होंने कहा कि यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि जीवन में संतुलन, सकारात्मकता और नव आरंभ का प्रतीक भी है।
अंत में मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रदेशवासियों को देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह की हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह पर्व हमारी समृद्ध परंपराओं, लोक आस्था और जीवन मूल्यों को निरंतर जीवंत रखने का प्रतीक है।
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