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मोदी सरकार की नई श्रम संहिताएँ मजदूर विरोधी, कॉरपोरेट हित साधने वाली – बैज

रायपुर, 27 नवंबर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई नई श्रम संहिताओं को मजदूर विरोधी बताते हुए कहा कि मोदी सरकार ने श्रम कानूनों में बदलाव कर कॉरपोरेट हितों को बढ़ावा देने का काम किया है।

    श्री बैज ने आज यहां जारी बयान में आरोप लगाया कि मेहनतकश मजदूरों के अधिकारों पर कुठाराघात कर उन्हें “गुलाम बनाने” की कोशिश की जा रही है।श्री बैज ने कहा कि मजदूर संगठनों के कड़े विरोध के बावजूद केंद्र सरकार ने 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को रद्द कर मनमाने तरीके से चार श्रम संहिताएँ थोप दीं। नए प्रावधानों में काम के घंटे आठ से बढ़ाकर 12 कर दिए गए हैं, कारखानों में महिला कामगारों को दी जाने वाली कई अनिवार्य सुविधाएँ समाप्त कर दी गई हैं, और 100 से अधिक मजदूरों पर लागू संरक्षण को बढ़ाकर 300 मजदूरों तक कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव मजदूरों के जीवन और आजीविका को गंभीर संकट में डालने वाले हैं।

   प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि श्रम नीति 2025 का मसौदा पूरी तरह कॉरपोरेटपरस्त है और मेहनतकश जनता के हितों की उपेक्षा करता है। बैज के अनुसार, “इन नई श्रम संहिताओं का आधार ही मजदूरों का शोषण और गुलामी है। बीजेपी सरकार पूंजीपति मित्रों के मुनाफे के लिए श्रमिकों के अधिकार कुचले जाने की साजिश कर रही है।”

   उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए बिना व्यापक चर्चा और विपक्ष की भागीदारी के, दो दर्जन से अधिक श्रम कानूनों को बदलने का निर्णय ले आई। “सदन में बहस नहीं हुई, विपक्षी सांसदों को मार्शल लगाकर बाहर कर दिया गया, और मजदूरों के हितों को प्रभावित करने वाला कानून पास कर दिया गया,” बैज ने कहा।

  श्री बैज ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार केवल पूंजीपति मित्रों की सेवा में लगी है और इन कॉरपोरेटपरस्त नीतियों से आम जनता, विशेषकर श्रमिक वर्ग, बेहद परेशान है।