
नई दिल्ली 01 दिसम्बर।राज्यसभा के सभापति सी.पी. राधाकृष्णन ने आज संसद सदस्यों से संविधान की मर्यादा बनाए रखने, स्थापित मानदंडों का पालन करने और संसदीय आचरण की सीमा का सम्मान करने का आग्रह किया।
सभापति के रूप में पहली बार उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करते हुए श्री राधाकृष्णन ने यह विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सांसदों का कर्तव्य है कि वे जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम करें। उन्होंने कहा कि केवल लोकतांत्रिक व्यवस्था में ही कोई व्यक्ति साधारण जीवन से उठकर सार्वजनिक जीवन में उच्च पदों तक पहुंच सकता है। सभापति ने कहा कि जनता संसद की ओर बड़ी उम्मीद से देखती है, क्योंकि संसद राष्ट्र का मार्गदर्शन करने और सामूहिक निर्णय लेने का सर्वोच्च मंच है।
तमिल कवि तिरुवल्लुवर की शिक्षाओं का जिक्र करते हुए सभापति ने कहा कि सदन में चर्चा के दौरान केवल उपयोगी और सार्थक बातें ही होनी चाहिए। दूसरों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई जानी चाहिए और सभी के विचारों के प्रति सहिष्णुता की भावना होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में राष्ट्र की सेवा करना उनके लिए सम्मान और सौभाग्य की बात है।
इससे पहले, दिन में सभापति का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि श्री राधाकृष्णन का साधारण पृष्ठभूमि से उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचना देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था की सच्ची ताकत को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि श्री राधाकृष्णन ने आपातकाल के दौरान लोकतंत्र के सच्चे रक्षक की तरह लड़ाई लड़ी। श्री मोदी ने कहा कि उनके मार्गदर्शन में सदन महत्वपूर्ण निर्णय लेगा और चर्चा करेगा।
उपसभापति हरिवंश ने श्री राधाकृष्णन को सदन की सुचारू कार्यवाही के लिए शुभकामनाएं दीं। सदन के नेता, जेपी नड्डा ने विश्वास व्यक्त किया कि श्री राधाकृष्णन के नेतृत्व में, सबसे बड़े लोकतंत्र के उच्च सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से संचालित होगी। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने विश्वास व्यक्त किया कि श्री राधाकृष्णन निष्पक्ष रहेंगे और विपक्ष तथा सत्ता पक्ष के साथ समान व्यवहार करेंगे। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी सभापति पद ग्रहण करने पर श्री राधाकृष्णन का स्वागत किया और उन्हें शुभकामनाएं दीं।
सदन में बाद में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण-एस.आई.आर. पर भी तीखी बहस हुई। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की। विपक्ष की मांगों का जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है। श्री रिजिजू के जवाब से असंतुष्ट होकर कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सदन से बहिर्गमन किया। बाद में, सदन में शून्यकाल और विशेष उल्लेख में विभिन्न लोक महत्व के मुद्दे उठाए। आज की निर्धारित कामकाज पूरा होने के बाद राज्यसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई।
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