जनसंघ के बड़े नेता रामचन्द्र बड़े, युवा तुर्क कांग्रेस नेता शशिभूषण और प्रदेश में सहकारिता के पुरोधा, प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष यादव तथा प्रदेश स्तर पर भाजपा के कद्दावर नेता कृष्णमुरारी मोघे जैसे व्यक्तियों को लोकसभा भेजने वाला खरगोन लोकसभा क्षेत्र 2009 से अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गया है। 1989 से अभी तक एक उपचुनाव मिलाकर नौ लोकसभा चुनाव हुए हैं उनमें दो बार कांग्रेस और छ: बार भाजपा ने जीत दर्ज की है। इस क्षेत्र से सबसे ज्यादा बार लोकसभा में जाने का कीर्तिमान भाजपा के रामेश्वर पाटीदार के नाम दर्ज है। यदि 1989 से देखा जाए तो 1998 तक इस क्षेत्र से पाटीदार ही चुनाव जीतते रहे। 1999 में कांग्रेस के ताराचंद पटेल ने बालकृष्ण पाटीदार को पराजित कर कांग्रेस की जीत का परचम लहराया, इससे पूर्व सुभाष यादव ने 1980 और 1984 में यहां से चुनाव जीता था। 2004 में भाजपा के कृष्णमुरारी मोघे ने कांग्रेस के ताराचंद पटेल को पराजित किया। दोहरे लाभ के पद के कारण मोघे की सदस्यता जब समाप्त की गयी तब उपचुनाव में मोघे को कांग्रेस के अरुण यादव ने 1 लाख 18 हजार 638 मतों के भारी अन्तर से पराजित कर चुनाव जीता। 2009 और 2014 जब क्षेत्र आरक्षित हो गया तब दोनों ही बार भाजपा ने चुनाव जीता लेकिन उम्मीदवार बदल-बदल कर। तीसरी बार भी उसने वही फार्मूला आजमाया और नये चेहरे गजेंद्र पटेल पर इस चुनाव में दांव लगाया। कांग्रेस युवा आदिवासी संगठन जयस से बिना किसी प्रकार का समझौता किए उससे जुड़े डॉ. गोविन्द मुजाल्दा को चुनाव मैदान में उतार कर जीत का परचम लहराने के लिए कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने यहां गैर-राजनीतिक चेहरे पर दांव लगाया ताकि वह अपनी लगातार दो बार की हार को जीत में परिवर्तित कर सके।
हालांकि डॉ. मुजाल्दा का कांग्रेसी कार्यकर्ता प्रारंभ में विरोध कर रहे थे, उन्हें समझाने-बुझाने की कोशिशें हुई हैं और यदि ये प्रयास किसी अंजाम तक पहुंच पाये तब ही कांग्रेस की वह उम्मीद पूरी हो सकेगी जिसके लिए उसने डॉ. मुजाल्दा को मैदान में उतारा है। डॉ. मुजाल्दा का कहना है कि राष्ट्रीय नेतृत्व की अगुवाई में किसान व गरीब आदिवासियों के हित में संकल्प के साथ आगे बढ़ेंगे और चुनाव घोषणापत्र के आधार पर काम करेंगे। डॉ. मुजाल्दा खरगोन व बड़वानी जिले के इकलौते रेडियोलाजिस्ट रहे हैं, इसके अलावा उन्होंने 15 साल में तीन लाख से ज्यादा रिकॉर्ड सोनोग्राफी भी की हैं। सेवा में रहते स्वास्थ्य जागरुकता का काम किया और उन्हें जब यह महसूस हुआ कि जागरुकता का काम सरकारी सेवा में रहते कठिन है इसलिए 2006 में इस्तीफा भेज दिया। अजाक्स और भिलाला समाज की गतिविधियों में वे संलग्न रहे हैं, उनकी सबसे बड़ी ताकत यह मानी जा रही है कि खरगोन विधायक रवि जोशी व पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के बीच जो समन्वय हो गया है उसका फायदा मुजाल्दा को मिल रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में आदिवासी क्षेत्रों में उनकी जो कार्यप्रणाली रही उससे वे राहुल गांधी के काफी करीब पहुंच गये और अब चुनाव नतीजों से ही पता चल सकेगा कि डॉ. मुजाल्दा राहुल गांधी के उस विश्वास की कसौटी पर कितना खरे उतरते हैं कि वे दो बार से हार रही कांग्रेस को जीत का स्वाद चखा सकते हैं। हालांकि उनकी छवि साफ-सुथरी है लेकिन कांग्रेस में उनका नाम एकदम नया है।
जहां तक भाजपा का सवाल है विधानसभा चुनाव में उसके पैरों के नीचे से अपने ही गढ़ में जमीन खिसक गयी थी। चोट खाई भाजपा ने लोकसभा चुनाव में जीत का परचम लहराये रखने के लिए अपने मौजूदा सांसद सुभाष पटेल का टिकट काटकर एक नये चेहरे को इस उम्मीद से चुनाव में उतारा है कि वह बदले हुए परिदृश्य में भाजपा के लोकसभा चुनाव जीतने की राह एक बार और प्रशस्त करे। खरगोन लोकसभा क्षेत्र राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रभाव वाला रहा है तथा दो अपवादों को छोड़कर 1989 से वह एकतरफा भाजपा जीत दर्ज कराती रही है लेकिन हाल के विधानसभा चुनाव में उस समय उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी जबकि आठ विधानसभा क्षेत्रों में से केवल एक में ही वह जीत दर्ज करा पाई। छ: विधायक कांग्रेस के हैं और एक केदार डाबर निर्दलीय पूर्व कांग्रेसी नेता हैं और सरकार को समर्थन भी रहे हैं, इस प्रकार सात विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस का वर्चस्व है। ऐसे में यदि विधानसभा पैटर्न पर ही मतदान होता है तो भाजपा की यह सीट बचाये रखना गजेंद्र पटेल के लिए टेढ़ी खीर होगी। 2014 की मोदी लहर में भाजपा के सुभाष पटेल ने कांग्रेस के रमेश पटेल को 2 लाख 57 हजार 879 मतों के भारी अन्तर से पराजित किया था जबकि अब बदले हुए हालातों में निर्दलीय विधायक भी पूर्व कांग्रेसी है इसलिए उसके मतों को मिलाने के बाद भाजपा की जो भारी भरकम बढ़त पिछले लोकसभा चुनाव में थी उसकी जगह अब कांग्रेस को 83 हजार 322 मतों की बढ़त मिल गयी है। बाला बच्चन, सचिन यादव और डॉ. विजयलक्ष्मी साधो कमलनाथ मंत्रिमंडल में केबिनेट मंत्री हैं, ऐसे में भाजपा का नया चेहरा क्या कुछ गुल खिला पायेगा यह चुनाव नतीजों से पता चल सकेगा।
सम्प्रति-लेखक श्री अरूण पटेल अमृत संदेश रायपुर के कार्यकारी सम्पादक एवं भोपाल के दैनिक सुबह सबेरे के प्रबन्ध सम्पादक है।