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गांवों के हालात बदलने कई उपायों पर करने होंगे काम-बघेल

रायपुर 11 अगस्त।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की दशा और दिशा बदलने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों एवं कार्यो का उल्लेख करते हुए आज कहा कि गांवों के हालात बदलने के लिए एक-दो उपाय से काम नहीं चलेगा।

श्री बघेल ने आज आकाशवाणी से प्रसारित अपनी पहली रेडियोवार्ता लोकवाणी में ग्रामीण जनजीवन को खुशहाल बनाने के लिए शुरू की गई महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना को विस्तार से बताते हुए अपनी सरकार के ऐतिहासिक फैसलों 2500 रूपए में धान खरीद, तेन्दूपत्ता संग्रहण की दर चार हजार रूपए मानक बोरा करने का भी उल्लेख किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती राज्य की अर्थव्यवस्था का आधार है। किसानों को उनकी उपज का अच्छा दाम मिलता है, तब वह पैसा गांव से लेकर शहर तक बाजारों में आता है। खेती चलती है तो कारखाने के पहिए भी चलते हैं।इसलिए हमने किसानों और उनके माध्यम से गांवों को समृद्ध बनाने की रणनीति अपनाई है। हमने 2500 रुपए क्विंटल में धान खरीद, कर्ज माफी, सिंचाई कर माफी और वन टाइम सेटलमेंट का निर्णय लिया, ताकि जितनी जल्दी हो सके किसानों को अपना खोया हुआ मान-सम्मान वापस मिल सके।

उन्होने कहा कि गांवों के हालात बदलने के लिए एक-दो उपाय से काम नहीं चलेगा। खेती की जमीन में भी सुधार हो, गांव में पशुधन के रास्ते से आने वाली आय बढ़े, फूड प्रोसेसिंग इकाइयां लगे, गांव की उपज का गांवों में वेल्यू एडीशन हो।सिंचाई और निस्तार के लिए पानी की स्थाई व्यवस्था होे।इसके लिये दीर्घकालिक योजना पर काम करते हुए हमने ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ को संस्थागत रूप से विकसित करने का निर्णय लिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विज्ञान और तकनीक की मदद से हम प्रदेश के 1000 नरवा को पुनर्जीवित करने की योजना बनाई है। वर्षा जल को सहेजने के लिये छोटे-बड़े वॉटर  स्ट्रक्चर बनाएंगे। छत्तीसगढ़ में 20 हजार नाले एवं 285 नदियां है। 85 बारहमासी नदिया है। इसके बावजूद भी सिचिंत रकबा  मात्र 31 प्रतिशत है। वर्षा के जल को हम सहेज नही पा रहें है। जल प्रबंधन नहीं होने के कारण हमारे ट्यूबवेल रिचार्ज नहीं हो पा रहे हैं। नरवा में सतत् जल प्रवाह होगा तो ट्यूबवेल में जलस्तर बना रहेगा। प्रदेश का 44 प्रतिशत भूभाग वनाच्छादित है इसलिये ऐसे वॉटर स्ट्रक्वर बनाएंगे जिससे पर्यावरण के या वन अधिनियम के उल्लघंन न हो। इससे न सिर्फ खेती किसानी बल्कि पेयजल एवं निस्तार के साथ ही उद्योगों के लिये जल की पर्याप्त उपलब्धता होगी। इससे पर्यावरण भी सुधरेगा।

 उन्होने कहा कि गौठान निर्माण के लिये 2000 गांवों को चिन्हित किया गया है। 900 गौठानों का लोकार्पण हो चुका है। चारा, पानी की व्यवस्था के साथ 5 एकड़ जमीन को गौठान के लिये घेरने से हमें चराई से बचने 1000 एकड़ फसली जमीन को घेरने की मंहगी कवायद नहीं करनी पड़ेगी। चराई से बचने लोग खेतों का फेंसिंग कराते हैं इससे कृषि लागत बढ़ती है। फसल चराई के डर से किसान छत्तीसगढ़ में धान के बाद उतेरा की फसल लेना छोड़ दिए हैं।  इसे रोकने हमने गांवों की गौठानों को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया।  गौठानों में गोबर से वर्मी खाद, उबटन, धूपबत्ती,  गौमूत्र से विभिन्न औषधि आदि के निर्माण से गौठान समिति की आय होगी।

कमजोर मानसून के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान किसी भी परिस्थिति में अपने आपको कमजोर न समझंे और न ही हिम्मत हारें। अल्प वर्षा या खण्ड वर्षा वाले क्षेत्रों में कम समय और कम पानी में पकने वाली किस्मों के बीज उपलब्ध कराएं गए हैं। किसानों को ‘फसल बीमा योजना’ का लाभ दिलाने 15 अगस्त के पहले अच्छी तरह छान-बीन करने को कहा गया है ताकि कोई भी किसान न छूटे, सबके प्रीमियम सही समय पर चला जाए।

उन्होने कहा कि प्रदेश में भरपूर बिजली उपलब्धता है।बिजली प्रदाय में सुधार के लिए हमने 6 माह में अभूतपूर्व कार्य किए गए है। 316 नए उपकेन्द्र बनाने का काम तेजी से पूरा करने का निर्णय लिया गया था, जिसमें से 280 उपकेन्द्रों का काम विभिन्न योजनाओं के तहत पूरा हो चुका है।पुराने उपकेन्द्रों में 210 नए ट्रांसफार्मर लगाने तथा क्षमता बढ़ाने के काम किए गए हैं। सरगुजा में छत्तीसगढ़ की बिजली पहुंचाने और गरियाबंद में कनेक्टिविटी की समस्या हल करने के ऐसे इंतजाम किए गए हैं, जिसका इंतजार बरसों से था।