रायपुर, 02 दिसम्बर।छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज भाजपा सदस्यों ने प्रदेश के उच्च न्यायालय बिलासपुर में दायर नागरिक आपूर्ति निगम (नॉन) प्रकरण की जनहित याचिका मामले में सरकार द्वारा निजी अधिवक्ताओं की नियुक्ति कर उन पर लाखों रूपये खर्च की गई राशि का मामला उठाया।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा विधायक डा. रमन सिंह ने प्रश्रकाल में यह मामला उठाते हुए मुख्यमंत्री (वित्त प्रभार) भूपेश बघेल से पूछा कि नॉन प्रकरण की जन याचिका (पीआईएल) में सरकार ने किन-किन अधिवक्ता को नियुक्त किया गया था और उन वकीलों के पीछे सरकार ने कितनी राशि खर्च की तथा उनके द्वारा कब-कब न्यायालय में जिरह की की गई।
इसके जवाब में श्री बघेल ने बताया कि नॉन घोटाला प्रकरण की पैरवी के लिए निजी अधिवक्ताओं को नई दिल्ली से बुलाया गया था, इनमें वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदम्बरम, हरीश एल. साल्वे, रविन्द्र श्रीवास्तव, अपूर्व कुरूप एवं दयन कृष्णन को नियुक्त किया गया था। उन्होंने बताया कि सभी अधिवक्ताओं की नियुक्ति में फीस, कांफ्रेंसिंग सहित अन्य व्यय मिलाकर कुल 81 लाख रूपये तथा वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदम्बरम को सुनवाई एवं कांफ्रेंस हेतु 6003776 रूपये का भुगतान किया गया। श्री बघेल ने सभी अधिवक्ता द्वारा अलग-अलग तारीख में न्यायालय में जिरह करने की भी जानकारी दी।
डा.सिंह ने पूरक प्रश्र करते हुए आरोप लगाया कि इन अधिवक्ताओं में श्री साल्वे तो छत्तीसगढ़ ही नहीं पहुंचे, वहीं रविन्द्र श्रीवास्तव भी न्यायालय में जिरम करने कभी नहीं पहुंचे है। डा. सिंह ने कहा कि सरकार जनहीत याचिका पर अधिवक्ताओं पर लाखों रूपये लूटा रही है।
डा. सिंह का आरोप सुनकर श्री बघेल उत्तेजित होकर कहा कि पूर्व रमन सरकार ने 15 साल में करोड़ों लूटाए है उसका जवाब कौन देगा। उन्होंने कहा कि नॉन घोटाला मामले में हर कोई जांच की मांग कर रहा है, पर भाजपा के लोग इस जांच को रोकना चाहिती है क्यों। श्री बघेल ने यह भी कहा कि नॉन घोटाला मामले में सरकार द्वारा जांच के लिए बनाई गई एसआईटी को नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने जनहित याचिका दायर की है।
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