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किसानों, आदिवासियों का सशक्तिकरण छत्तीसगढ़ मॉडल की विशेषता-भूपेश

रायपुर 13 दिसम्बर।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आम जनता, किसानों, आदिवासियों और कमजोर तबकों का सशक्तिकरण छत्तीसगढ़ के विकास मॉडल की प्रमुख विशेषता है।

श्री बघेल ने आज आकाशवाणी पर प्रसारित मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की 13 वीं कड़ी में इस विचार व्यक्त करते हुए कहा कि दो वर्षों के शासनकाल में जनता की भावनाओं, आकांक्षाओं, उम्मीदों को आत्मसात कर शासन और प्रशासन को समाधान के विषयों में संवेदनशील बनाने का राज्य सरकार ने प्रयास किया। छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बढ़ावा देकर लोगों के मन में अपनी संस्कृति और अस्मिता को लेकर गौरव का भाव फिर से जगाया।

उन्होने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों के लिए कर्जमाफी, धान खरीदी, सुराजी गांव, राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना जैसी अनेक योजनाएं लागू की, जिनसे गांवों को निरंतर शक्ति मिल रही है। इसके साथ ही साथ राज्य सरकार की नीतियों का उद्योग और व्यापार जगत में भी सकारात्मक असर दिखा। पूरा देश कोरोना संकट काल में मंदी से प्रभावित था, जबकि छत्तीसगढ़ मंदी से अछूता रहा।

श्री बघेल ने कहा कि मनरेगा, वनोपज खरीदी जैसी योजनाओं से बेरोजगारी की दर घटाकर दो प्रतिशत तक लाने का छत्तीसगढ़ में उदाहरण पेश किया। औद्योगिक इकाईयों में भी 15 हजार करोड़ रूपए का पूंजी निवेश हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला। कृषि और वानिकी उपजों में वेल्यू-एडीशन के राज्य सरकार द्वारा प्रारंभ किए गए प्रयासों से प्रदेश की समृद्धि के नए द्वार खुलेंगे।

श्री बघेल ने कहा कि हमने ऐसे इंतजाम किए कि छत्तीसगढ़ के लोगों के मन में अपनी परंपराओं, अपनी धरोहर, अपनी संस्कृति और अपनी अस्मिता को लेकर जो गौरव का भाव सदियों से था और जो राज्य बनने के बाद कहीं कमजोर पड़ गया था, उसे जल्दी से जल्दी वापस लाया जाए।उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ की पहचान, एक लोक प्रदेश के रूप में है। हर अंचल की अपनी परंपराएं और संस्कृति हैं।

उन्होने कहा कि दो साल पहले, जब हमें सरकार की बागडोर मिली तो हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती न्याय की परंपरा को छत्तीसगढ़ में फिर से जीवित करने की थी, जिसकी लौ डेढ़ दशकों में कमजोर हो गई थी। मुझे खुशी है कि छत्तीसगढ़ की जनता ने हमारी उदार, समन्वयकारी, सद्भावी और विकासपरक नीतियों, योजनाओं, कार्यक्रमों और अभियानों पर अटूट विश्वास प्रकट किया और इन दो सालों को, न्याय की पुनर्स्थापना और विस्तार का समय बनाने में हमारी मदद की।

श्री बघेल ने कहा कि हम प्राथमिक क्षेत्र के साथ उद्योग, व्यापार जगत को भी सही दिशा में ले जाने में सफल हुए हैं। निश्चित तौर पर कृषि, वनोपज, परम्परागत रोजगार, हस्तशिल्प आदि पर आश्रित प्रदेशवासियों पर सबसे पहले और सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत थी और है। लेकिन हमने छत्तीसगढ़ को ठोस अर्थव्यवस्था का गढ़ बनाने में हर क्षेत्र की-हर संभव भागीदारी सुनिश्चित करने की नीति अपनाई है। हम उद्योग और व्यापार में लगे लोगों को भी पूरा सम्मान देते रहेंगे और व्यापक खुलेपन के वातावरण में काम करेंगे।

उन्होने कहा कि गत दो सालों में 887 औद्योगिक इकाइयों की स्थापना, 15 हजार करोड़ रूपए का पूंजी निवेश और 15 हजार 400 लोगों को इन उद्योगों में रोजगार मिलना उत्साहजनक है। मनरेगा में 25 लाख से अधिक लोगों को हर रोज काम देने का उदाहरण है, बेरोजगारी दर 22 प्रतिशत से घटाकर दो प्रतिशत तक लाने का उदाहरण भी है।हम चाहेंगे कि हमारी नई औद्योगिक नीति से आदिवासी अंचलों में भी तेजी से उद्योग लगे और क्षेत्रीय विकास का मार्ग प्रशस्त हो, वहीं रोजगार के नए-नए अवसर बने।