रायपुर 14 जून।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि कोरोना संकट ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है, लेकिन इस चुनौती पूर्ण समय में भी छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था मजबूत और गतिशील रही।
श्री बघेल आज अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में रायगढ़ और जशपुर जिले में करीब 592 करोड़ रूपए की लागत के विभिन्न निर्माण कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन करने के बाद कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।उन्होने कहा कि प्रदेश में किसानों और वनवासियों के कल्याण के लिए प्राथमिकता से कार्य किए जा रहे हैं। राजीव गांधी किसान न्याय योजना, सुराजी गांव योजना, गोधन न्याय जैसी योजना शुरू की गई है। इन योजनाओं के माध्यम से किसानों, महिलाओं और ग्रामीणों को गांवों में ही रोजगार मिल रहा है।श्री बघेल ने इस अवसर पर दोनों जिलों में विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों से चर्चा कर उनसे योजना से मिले फायदे की जानकारी ली।
उन्होने कहा कि रायगढ़ और जशपुर जिले में कृषि के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों की भरपूर संभावनाएं हैं। जशपुर में धान, कोदो-कुटकी के साथ नाशपती, काजू, लीची, स्ट्राबेरी का उत्पादन हो रहा है। अब यहां सेब की फसल लेने की भी तैयारी चल रही है।उन्होंने कहा कि जशपुर में चाय की खेती हो रही है। चाय की प्रोसेसिंग यूनिट भी स्थापित की गई है। जिले में स्थापित गौठानों के जरिए महिला स्व-सहायता समूहों को गांवों में रोजगार दिलाया जा रहा है। कोरोना काल में स्व-सहायता समूहों की महिलाओं ने महुआ से सेनेटाइजर बनाकर खूब नाम कमाया है। यहां की महिलाओं द्वारा बनाए गए च्यवनप्राश भी खूब प्रसिद्ध हो रहा है। रायगढ़ जिले के लैलूंगा के जवाफूल चावल के उत्पादन बढ़ाने निर्यात करने और इसकी ऑनलाईन प्लेटफॉर्म पर बिक्री के लिए शासन द्वारा व्यवस्था की जा रही है।
श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अब वनोपज बड़े बदलाव का जरिया बन गई है। कोरोना संकट काल में समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले वनोपज की संख्या 7 से बढ़ाकर 52 कर दी गई। इससे बड़ी संख्या में न केवल वनवासियों को वनोपज संग्रहण का वाजिब मूल्य मिला, बल्कि इससे वनवासी क्षेत्रों में बदलाव का नया दौर शुरू हुआ।जशपुर और रायगढ़ जिले में वनवासियों के बेहतरी के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं।वनवासियों को उनका हक दिलाने व्यक्तिगत एवं सामुदायिक पट्टे और वन संसाधन अधिकार के पट्टे दिए गए हैं।