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भूपेश का छत्तीसगढ़ में कोरोना काल में अर्थव्यवस्था में रौनक बनी रहने का दावा

रायपुर 30 सितम्बर।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दावा किया कि पूरे कोरोना संकट के दौरान राज्य की अर्थव्यवस्था तुलनात्मक रूप से अच्छी बनी रही और कृषि क्षेत्र ही नही बल्कि ऑटोमोबाइल सहित दूसरे बहुत से सेक्टरों में ग्रोथ होता रहा।

श्री बघेल ने आज पीएचडी चेम्बर ऑफ कामर्स के कार्यक्रम को वर्चुअल रूप से संबोधित करते हुए कहा कि इस समय भी छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर केवल 3.8 प्रतिशत है। यह राष्ट्रीय औसत 7.6 प्रतिशत से आधी है। हमने जीएसटी कलेक्शन में भी पूरे देश में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। हमें यह उपलब्धि इसलिए भी मिली क्योंकि हमने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का काम कोरोना संकट शुरु होने से बहुत पहले शुरु कर दिया था।

उन्होने कहा कि दिसंबर 2018 में जब हमारी सरकार बनी तब सबसे पहला निर्णय किसानों को कर्ज मुक्त करने, उन्हें उनके पसीने की सही कीमत दिलाने तथा उन्हें उनके अधिकार दिलाने का लिया। इसके फलस्वरूप हमारे गांव मजबूत बने रहे, संकट काल में भी हमारे किसानों के पास पैसा था इसलिए बाजार में न तो मांग में कमी थी और न खरीददारों की। कोरोना काल में भी छत्तीसगढ़ में रौनक बनी रही।

श्री बघेल ने कहा कि इसके बाद राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरु करके फसलों पर इनपुट सब्सिडी की व्यवस्था की गई। कर्ज मुक्ति से किसानों में नया आत्मविश्वास आया और इनपुट सब्सिडी ने उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करके खर्च की चिंता किए बिना अच्छी खेती के लिए प्रेरित किया। बीते तीन वर्षों में हर साल किसानों की संख्या बढ़ी है, खेती का रकबा बढ़ा है, उत्पादन बढ़ा है। पिछले साल हम लोगों ने 22 लाख किसानों से 92 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा था, इस साल यह आंकड़ा एक करोड़ टन तक पहुंच सकता है।

उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ में खनिज संसाधनों की कई कमी नहीं है। खनिज आधारित उद्योगों की प्रचुर संभावनाएं हमेशा रही हैं, लेकिन कृषि और वन संसाधनों के मामले में भी इतने ही संपन्न होने के बावजूद अब तक इन सेक्टरों की ओर ध्यान ही नहीं दिया था। हमारी सरकार ने यह संतुलन स्थापित किया है। आज हमने जो नयी उद्योग नीति तैयार की है, उसमें कृषि और वन आधारित उद्योगों को बढ़ावा दे रहे हैं। कृषि और वन उत्पादों का स्थानीय स्तर पर ही वैल्यू एडीशन कर रहे हैं। लघु वनोपजों की खरीदी व्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में 52 प्रकार के लघु वनोपज समर्थन मूल्य पर खरीद रहे हैं। इससे वन क्षेत्रों में भी ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।