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लोक कलाओं और आदिवासियों की समृद्ध संस्कृति को दें बढ़ावा -उइके

बिलासपुर 21 अप्रैल।छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि आदिवासी कला एवं संस्कृति से छत्तीसगढ़ की विशिष्ट पहचान है। लोक कला महोत्सव के आयोजन से छत्तीसगढ़ की विविध लोक कलाओं और संस्कृतियों को मंच मिलता है।

सुश्री उइके ने कोटा स्थित डॉ सी.वी. रमन विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय रामन लोककला महोत्सव  का शुभारंभ करते हुए कहा कि यह गर्व की बात  है कि आज देश विदेश में आदिवासी संस्कृति को स्वीकार किया जाता है।  वैश्विक स्तर पर आदिवासी संस्कृति की एक अलग पहचान बन चुकी है। उन्होंने कहा विश्व स्तरीय आदिवासी महोत्सव जैसे आयोजनों से पूरी दुनिया में छत्तीसगढ़ संस्कृति की  महक फैल गई है द्य छत्तीसगढ़ संस्कृति की महक हर किसी को आकर्षित करती है।

उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ का संगीत मधुर और हृदय को छू लेने वाला है,जिससे हर व्यक्ति मंत्रमुग्ध हो जाता है। यहां के आदिवासी बहुत ही भोले-भाले हैं, छल कपट से हमेशा दूर रहते हैं। ऐसे समाज के उत्थान के लिए, उन्हें मंच प्रदान करने के लिए, उन्हें वैश्विक स्तर तक स्थापित करने के लिए डॉ. सी. वी. रामन विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित लोक कला महोत्सव एक सराहनीय पहल है।

सुश्री उइके ने छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से आये लोक कलाकारों के नृत्य का भी आनंद लिया। तमनार से आए जनकराम और साथियों ने कर्मा नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में कोंडागांव के कलाकारों ने ककसाड़ नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी।कार्यक्रम में सुश्री उइके ने विज्ञान और नवाचार पर आधारित पुस्तक विज्ञान कथा कोष का भी विमोचन किया।

उन्होने  कहा कि राज्य में बस्तर एवं सरगुजा संभाग में भी केंद्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय होना चाहिये ताकि छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदाय भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर, विकास की मुख्यधारा से जुड़ सकें और राष्ट्रीय स्तर पर अपना योगदान दे सकें। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में खेल अकादमी के जरिए विभिन्न खेलों के साथ परम्परागत खेलों को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए।