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सहकारी आंदोलन को और अधिक संगठित कर मजबूत बनाने की आवश्यकता- भूपेश

रायपुर, 25 अप्रैल।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि सहकारी आंदोलन को और अधिक संगठित कर मजबूत बनाने की आवश्यकता है। देश के विभिन्न राज्यों की सहकारी क्षेत्र की नीतियों की अच्छाईयों को स्वीकार कर और सहकारी क्षेत्र की कमियों को दूर कर आगे बढ़ा जा सकता है।

श्री बघेल ने आज राजधानी में आयोजित राष्ट्रीय सहकारी सम्मेलन एवं राष्ट्रीय पुरस्कार वितरण समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज यह जरूरत है कि सहकारी क्षेत्र को किसानों और ग्रामीणों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सक्षम बनाया जाए। इसके लिए हमें सहकारी बैंकों को राष्ट्रीयकृत बैंकों के समान ही मजबूत बनाने की जरूरत है। साथ ही इन बैंकों से उद्यानिकी और कैश क्रॉप के लिए भी ऋण देने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि देश के सहकारी आंदोलन का सबसे बड़ा उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का समर्थन मूल्य दिलाना होना चाहिए। ऐसी कोशिश होनी चाहिए कि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिल सके। किसानों को कृषि ऋण, खाद-बीज की उपलब्धता के साथ सहकारी क्षेत्र से और अधिक योजनाओं को जोड़ा जाना चाहिए।

उन्होने कहा कि देश में हो रहे अनाज के सरप्लस उत्पादन से एथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देकर अन्नदाता किसानों को ऊर्जादाता बनाने की जरूरत है। इसके लिए आवश्यक है कि केन्द्र सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति प्रदान करे। उन्होंने कहा कि आज सहकारी बैंकों को किसानों और ग्रामीणों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए सक्षम बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सहकारिता आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए अनेक उपाय किए गए हैं। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, लघुवनोंपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी, गौठनों में महिला समूह द्वारा तैयार वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय जैसी विभिन्न योजनाओं और गतिविधियों को सहकारी बैंकों से जोड़ा गया है।

श्री बघेल ने सम्मेलन में देशभर से आए सहकारिता के क्षेत्र के प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि कृषि और सहकारिता दोनों विषय राज्य के हैं। यही कारण है कि राज्यों की भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्थाओं के अनुरूप नियम बनाए और संचालित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सहकारिता आंदोलन का इतिहास बहुत पुराना है। छत्तीसगढ़ में ठाकुर प्यारे लाल सिंह ने 1945 में बुनकर सहकारिता आंदोलन की शुरुआत की थी और देश में सहकारिता की शुरुआत पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। किसानों का जुड़ाव सहकारी बैंक से है, हमें सहकारिता के क्षेत्र में बहुत कुछ करने की जरूरत है, तभी सहकारिता का यह आंदोलन सफल हो सकता है।

कार्यक्रम को वरिष्ठ विधायक श्री सत्यनारायण शर्मा, कृभको के अध्यक्ष डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव, नेशनल फेडरेशन ऑफ स्टेट कोऑपरेटिव बैंक्स (नेफ्सकाब) मुंबई के अध्यक्ष कोंडरू रविंदर राव ने भी सम्बोधित किया। स्वागत भाषण अपेक्स बैंक छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष बैजनाथ चंद्राकर ने किया।