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नोटबन्दी एवं जीएसटी से लोगों को धकेला गया गरीबी के दलदल में – मनमोहन

अहमदाबाद 07 नवम्बर।पूर्व प्रधानमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता डा.मनमोहन सिंह ने कहा कि नोटबंदी, जल्दबाजी में वस्तु और सेवा कर के क्रियान्वयन और कर आतंकवाद के भय ने देश में निवेश वातावरण को खराब कर दिया है।

डा.सिंह ने आज यहां प्रेस कान्फ्रेंस में पिछले 70 साल में कांग्रेस द्वारा देश के विकास के लिए कुछ नहीं करने,कांग्रेस के गुजरात विरोधी होने और नर्मदा योजना को लागू करने में देरी के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान को खारिज कर दिया।

उन्होने इससे पूर्व यहां नोटबन्दी एवं जीएसटी तथा अन्य मुद्दों पर कारोबारियों को संबोधित कहा कि हमने नोटबंदी का असर जीडीपी पर देखा।हर एक परसेंट का मतलब 1.5 लाख करोड़ रुपये है,इसका अर्थ है कि देश में कितने लोगों की नौकरी चली गई।कितने उद्योग बंद हो गए। मोदी सरकार ने इससे कुछ नहीं सीखा. किसान, छोटे व्यापारी इससे काफी परेशानी हुई और इसके बावजूद बिना प्लान के एक अधूरा जीएसटी गलत तरीके से लागू किया गया।इससे भी सभी को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।.

डा.सिंह ने कहा कि..हमारी सरकार की सोच टैक्स को सरल करना थी,एक टैक्स लाकर।व्यापारियों और आम लोगों का भला हो, पर इस जीएसटी में ऐसा नहीं है।इस सरकार ने हमारी संसद के भीतर और निजी मुकालतों में हुईं बातें नहीं सुनी। जीएसटी छोटे कारोबारियों के लिए बुरे सपना जैसा बन गया है। नोटबंदी की तरह ही जीएसटी को लेकर भी बार-बार नियम बदलने से दिक्कत बढ़ी है।इससे टैक्स आतंकवाद है..।

उन्होने कहा कि..मैंने पंजाब में गरीबी देखी है।पंजाब में बंटवारे का दंश झेला है।मेरे जीवन में कांग्रेस की नीतियां प्रभावकारी रहीं।हमने 140 मिलियन लोगों को गरीबी से निकाला।किसी सरकार ने ये अचीव नहीं किया था। उन्होंने कहा, नोटबंदी और जीएसटी दो बड़े धमाके थे, जो लाखों लोगों को गरीबी के दलदल में धकेल कर चले गए।