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भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 3.9 बिलियन डॉलर से बढ़कर 600 अरब डॉलर के हुआ पार….

भारतीय विदेशी मुद्रा में इजाफा हुआ है। 27 मई को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा (FX) भंडार लगभग 3.9 बिलियन डॉलर बढ़कर 600 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया। यह राहत भरी खबर तब आई, जब ग्लोबल मार्केट में फ्यूल की कीमतें काफी बढ़ी हुई हैं।
एक महीने से अधिक समय तक 600 बिलियन डॉलर से नीचे रहने और लगातार 10 सप्ताह तक गिरने के बाद देश का आयात कवर लगातार दूसरे सप्ताह बढ़ा है। यह ऐसे समय में आया है, जब रुपये में कई बार उतार-चढ़ाव देखा गया। इस समय रुपया 77.61 डॉलर पर कारोबार कर रहा है। एक माह पहले रुपया 76 रुपये प्रति डॉलर पर कारोबार कर रहा था। आरबीआई के साप्ताहिक सांख्यिकीय आंकड़ों से पता चला है कि 27 मई के सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.854 अरब डॉलर बढ़कर 601.363 अरब डॉलर हो गया। क्या कहते हैं जानकार डॉयचे बैंक में फॉरेक्स रिसर्च के ग्लोबल चीफ जॉर्ज सरवेलोस ने रॉयटर्स को बताया कि डॉलर एक सुरक्षित-हेवन जोखिम प्रीमियम का मूल्य निर्धारण कर रहा है, जो समय के साथ बना रहता है और अब न खत्म होने की प्रक्रिया में है। लेकिन, विश्लेषकों का तर्क है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व का कड़ा चक्र यूरोप की तुलना में मजबूत विकास पर है। विश्लेषकों का मानना है कि रूसी तेल प्रतिबंध के बाद यूरो क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है। 13 मई को हुई थी 2.676 बिलियन डॉलर की गिरावट बता दें कि 13 मई को समाप्‍त हुए सप्‍ताह में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 2.676 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई थी। वहीं, 3 सितंबर 2021 को भारत का Forex Reserve सर्वकालिक उच्‍च स्‍तर 642.453 बिलियन डॉलर के स्‍तर पर पहुंच गया था। इसके बाद इसमें काफी तेजी से गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, अब भारत का आयात कवर 600 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है, जो एक स्वस्थ्य संकेत है। क्या है विदेशी मुद्रा भंडार? विदेशी मुद्रा (Foreign Currency) या विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Currency Reserve) अनिवार्य रूप से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा विदेशी मुद्राओं में आरक्षित के रूप में रखी गई संपत्ति है, जिसका इस्तेमाल आर्थिक संकट में किया जाता है। आमतौर पर इसका यूज एक्सचेंज दर का समर्थन करने और मौद्रिक नीति बनाने के लिए किया जाता है। भारत के मामले में विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर, सोना और विशेष आहरण अधिकारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का कोटा शामिल है। कुछ केंद्रीय बैंक अपने अमेरिकी डॉलर के भंडार के अलावा ब्रिटिश पाउंड, यूरो, चीनी युआन या जापानी येन को भी अपने भंडार में रखते हैं।