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बोरवेल में गिरे 11 साल के राहुल को 105 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सकुशल निकाला बाहर, मिलने के लिए अस्पताल जाएंगे सीएम भूपेश

छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के पिरहिद गांव में बीते शुक्रवार की दोपहर अपने ही घर के बोरवेल में गिरे 11 साल के राहुल को 105 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सकुशल बाहर निकाला गया है। सीएम भूपेश बघेल आज राहुल से मिलने अस्पताल जाएंगे।
इससे पहले सीएम भूपेश ने मीडिया को राहुल के सकुशल बोरवेल से बाहर निकाले जाने की जानकारी दी। उन्‍होंंने बताया कि 105 घंटे तक लगातार चले रेसक्‍यू अभियान के बाद मंगलवार की रात सुरक्षित निकाल लिया गया। फिलहाल राहुल अस्‍पताल में डाक्‍टरों की निगरानी में पूरी तरह स्‍वस्‍थ्‍य है। मुख्‍यमंत्री बघेल ने इस मौके पर रेसक्‍यू अभियान में लगी टीम को भी बधाई दी। उन्‍होंने ट्वीट कर कहा, यह राहुल के साथ-साथ समूचे छत्तीसगढ़ की जीत है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल सभी ने अनुकरणीय कर्तव्यनिष्ठा का पालन किया है। बतादें कि जांजगीर-चांपा जिले के पिहरीद गांव में बोरवेल के गड्ढे में गिरे 10 साल राहुल ने आखिरकार जिंदगी की जंग जीत ली। करीब 105 घंटे 56 मिनट तक लगातार चले रेस्क्यू के बाद मंगलवार की रात उसे सुरक्षित निकाल लिया गया। बाहर आते ही उसे चिकित्सकों की निगरानी में बिलासपुर के अपोलो अस्पताल रवाना कर दिया गया। इसके लिए दोपहर से ही ग्रीन कारिडोर बनाकर तैयारी कर ली गई थी। बोरवेल में गिरे किसी बच्चे को बचाने के लिए इसे देश का सबसे लंबा रेस्क्यू माना जा रहा है। दस जून को दोपहर करीब तीन बजे रामकुमार उर्फ लालाराम साहू के बेटा राहुल खेलते-खेलते बाड़ी में खुले बोरवेल के गड्ढे में गिर गया था। प्रशासन तक यह सूचना पहुंचने के बाद से राहुल को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए लगातार चले रेस्क्यू के बाद मंगलवार रात 11.56 बजे उसे निकाल लिया गया। इस पूरे अभियान में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), गुजरात की रोबोटिक टीम, जिला प्रशासन, पुलिस के साथ ही अंत में सेना ने निर्णायक भूमिका निभाई। राहुल को सकुशल निकालने के लिए चार पोकलेन, छह जेसीबी, तीन फायर ब्रिगेड, हाईड्रा मशीन, स्टोन ब्रेकर, 10 ट्रैक्टर, ड्रील मशीन, होरिजेंटल ट्रंक मेकर आदि लगाई गई थीं। राह में आए सभी रोड़ों से पाया पार राहुल को बचाने के लिए पहले बोरवेल से थोड़ी दूर से खोदाई शुरू की गई। करीब 65 फीट की खोदाई के बाद उस तक पहुंचने के लिए सोमवार से सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ। इसके बाद राहुल और रेस्क्यू टीम के बीच बड़ी-सी चट्टान आ गई। राहुल चट्टान के ऊपर था। ऐसे में उस तक पहुंचने के लिए चट्टान को हैंड ड्रिलिंग मशीन से काटा गया। गजब की जिजीविषा सुनने और बोलने में अक्षम व मानसिक रूप से कमजोर इस बालक ने इस विपत्ति के समय जिस तरह की जिजीविषा दिखाई, वह अपने आप में अचंभित करने वाला है। बोरवेल में पानी भी भरने लगा था। इसी गड्ढे में सांप भी आ गया था, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। रेस्क्यू टीम की ओर से उपलब्ध कराए जा रहे खाने-पीने की चीजों को खाकर अपनी हिम्मत बनाए रखा।