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महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठा-पटक में उतरे शरद पवार, कहीं उलटा न पड़ जाए शिंदे का ये दांव….

महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठा-पटक अभी तक किसी मुकाम पर नहीं पहुंची है। शह और मात के इस खेल में अब एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी पूरी तरह उतर चुके हैं। पवार की राजनीतिक ताकत का अंदाजा विद्रोही नेता एकनाथ शिंदे को भी है। ऐसे में इस बात की संभावना तेज हो गई है कि कहीं शिंदे का दांव उलटा न पड़ जाए। हालांकि अभी कुछ भी दावे के साथ कह पाना मुश्किल है।
पवार की भूमिका तभी स्पष्ट हो गई जब डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल ने फैसले लेने शुरू किए। जिरवाल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से ही हैं। उन्होंने सबसे पहले एकनाथ शिंदे के स्थान पर अजय चौधरी को विधानसभा में पार्टी के समूह नेता के रूप में नियुक्त करने के शिवसेना के प्रस्ताव को स्वीकार किया। यह अहम कदम था, क्योंकि समूह का नेता ही व्हिप की नियुक्ति करता है। साथ ही वह यह तय करता है कि विधायक सदन के पटल पर अपना आचरण कैसा रखेंगे। पवार और उद्धव ठाकरे के बीच फोन पर बातचीत हुई, जिसके दो घंटे के भीतर जिरवाल ने शिंदे सहित अपने 12 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के शिवसेना के प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लिया। पवार ने अपनी पार्टी के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसके बाद राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल, अजीत पवार और जयंत पाटिल उद्धव का समर्थन करने के लिए पूरी ताकत से सामने आए। शरद पवार ने साफ तौर पर कहा कि महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी सरकार (एमवीए) के भाग्य का फैसला विधानसभा में होगा और शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन विश्वास मत में बहुमत साबित करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के समक्ष उत्पन्न संकट में भूमिका निभाई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बागी विधायकों को मुंबई वापस आना होगा और विधानसभा का सामना करना होगा। उन्होंने कहा कि गुजरात और असम के भाजपा नेता उनका मार्गदर्शन करने के लिए यहां नहीं आएंगे। उन्होंने कहा कि एमवीए सरकार के भाग्य का फैसला विधानसभा में होगा, न कि गुवाहाटी में (जहां विद्रोही डेरा डाले हुए हैं)। एमवीए सदन पटल पर अपना बहुमत साबित करेगा। शिवसेना नेता संजय राउत के इस बयान पर कि शिवसेना एमवीए छोड़ने के लिए तैयार है, अगर विद्रोही नरम पड़ गए, पवार ने कहा कि उन्हें (बागियों को) मुंबई वापस लाने के लिए यह बयान दिया गया था। उन्होंने कहा कि जब बागी वापस आएंगे और बताएंगे कि उन्हें राज्य से कैसे निकाला गया, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि किस पक्ष के पास बहुमत है।