इस वक्त दुनियाभर में 40 करोड़ से ज़्यादा लोग डायबिटीज़ से जूझ रहे हैं। जिसमें पुरुष, महिलाएं और यहां तक कि बच्चे भी शामिल हैं। डायबिटीज़ स जूझते वक्त एक चीज़ जिस पर लोग ध्यान नहीं देते हैं, वह है पैरों की देखभाल। ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने से लिवर और किडनी पर असर पड़ता है, यह हम सब जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पैर भी प्रभावित हो सकते हैं।
ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने से तंत्रिका क्षति (मधुमेह से संबंधित न्यूरोपैथी), परिसंचरण समस्याएं और पैर की चोट का जोखिम बढ़ता है। आपका पैर सुनन भी पड़ सकता है। डायबिटीज़ होने से आपके पैरों तक ब्लड फ्लो कम हो जाता है, जिससे तंत्रिका को क्षति पहुंचती है और आपके पैर सुनन पड़ने शुरू हो जाते हैं। इस स्थिति को डायबिटीक न्यूरोपैथी कहते हैं। क्योंकि आपको दर्द महसूस नहीं होता, इसलिए छोटी छोट भी गंभीर रूप ले सकती है।
डायबिटीक न्यूरोपैथी से जुड़े संकेत और लक्षण
1. इसके आम लक्षणों में पैरों और पंजों में दर्द, जलन और चुभन शामिल है।
2. रक्त के प्रवाह में बाधा होने के कारण चोट के ठीक होने में दिक्कत और संक्रमण के प्रतिरोध में कठिनाई। रक्त वाहिकाएं संकरी और सख्त हो जाती हैं, और रक्त उस तरह से प्रवाहित नहीं होता जैसा उसे करना चाहिए।
3. अंगूठे के नीचले हिस्से पर छाले होना। चाहे सिर्फ दर्द न हो, इसे स्थिति में फौरन डॉक्टर को दिखना चाहिए।
4. पैरों का आकार बदल जाना है।
5. गैंग्रीन जो टिशू के सड़ने और ख़त्म होने का कारण बनता है। इससे पैर कटवाने की नौबत भी आ सकती है।
6. पैरों के वो हिस्से जिनपर दबाव ज़्यादा पड़ता है, वहां की त्वचा पर बदलाव देखे जा सकते हैं। जैसे- सूखापन, दरारें, एड़ी को नुकसान, स्केलिंग, पैर की उंगलियों के बीच की टूटी हुई त्वचा, छिलना। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो ये कॉलस और कॉर्न अल्सर में बदल सकते हैं।
डायबिटीज़ में पैरों को स्वस्थ रखने के लिए क्या करें?
1. पैरों को हेल्दी रखने के लिए शुगर के स्तर को कंट्रोल में रखें। रोज़ाना एक्सरसाइज़ करें।
2. दवाइयों को रोज़ लें और समय पर लें और साथ ही शुगर चेक भी रोज़ करें।
3. अपने पैरों पर नज़र रखें। रोज़ाना चेक करें कि कहीं कोई चोट, घाव या फिर छाला न हो गया हो। अगर कुछ दिखे तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं।
4. नहाने के बाद पैरों को अच्छी तरह सुखा लें और मॉइश्चराइज़ करें। पैरों की उंगलियों के बीच की त्वचा को साफ और ड्राई रखें।
5. पैरों की सिकाई के लिए सिर्फ गुनगुना पानी ही इस्तेमाल करें।
6. स्मोक करना छोड़ें।
7. ऐसी एक्टिविटीज़ से दूर रहें, जिनसे पैरों पर चोट लग सकती हो, जैसे कि नंगे पैर चलना, गर्म पानी की थैली का इस्तेमाल, मिट्टी या कीचड़ में चलना।
8. छालों को फोड़ें नहीं और न ही बिना डॉक्टर की सलाह के किसी तरह की दवा लें।
9. नाखूनों को काटकर रखें।
10. साफ सुथरे मोज़े पहनें। जूते भी देखकर लें।