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छत्‍तीसगढ़ में नहीं थम रहे उल्टी-दस्त के केस, विधायक ने फोन पर चर्चा कर की नई एंबुलेंस की मांग..

छत्‍तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के बड़ेगुडरा ग्राम पंचायत के कवासी पारा में उल्टी-दस्त के केस थम नहीं रहे हैं। गुरुवार को जहां उल्टी-दस्त से दो लोगों की मौत हो गई थी। 20 से अधिक बीमार मिले थे। शुक्रवार को एक बार फिर कवासी पारा में उल्टी-दस्त के दर्जनभर मरीज मिले। इसमें सात मरीजों का इलाज गांव में ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा मेडिकल कैंप में किया जा रहा है। जबकि पांच गंभीर मरीजों को जिला अस्पताल रेफर किया गया है। हालांकि अभी तक कारण पता नहीं चल पा रहा है, जिसे लेकर स्वास्थ्य विभाग परेशान है। ग्रामीणों का कहना है उन्‍होंने ऐसी कोई चीज का सेवन नहीं किया है, जिससे फूड प्‍वायजनिंग हो जाए।
दो दिन से लगातार मिल रहे केस, गांव में पहुंचीं विधायक कवासी पारा में उल्टी-दस्त के केस मिलने के बाद आज विधायक देवती महेंद्र कर्मा, छबीन्द्र कर्मा, जिला अध्यक्ष अवधेश गौतम, सुलोचना कर्मा पहुंचीं। यहां विधायक ने बस्तर प्रवास पर पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव से विधायक ने फोन पर चर्चा कर बड़ेगुडरा अस्पताल के लिए नई एंबुलेंस की मांग की। साथ ही गांव में उल्टी-दस्त के प्रकोप की भी जानकारी दी।
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स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को देखकर भड़कीं विधायक गांव में जिन मरीजों को ड्रिप चढ़ाई जा रही थी, सभी को अस्पताल शिफ्ट करने के लिए कहा। विधायक कर्मा ने कहा, कवासी पारा के लोगों की हरसंभव मदद की जाएगी। कवासी पारा के लोगों ने शिकायत की गांव में महिला बाल विकास विभाग द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के फील्ड वर्करों की भी विधायक से शिकायत की। जब तक स्थित सामान्य नहीं हो जाती तब तक कवासी पारा में स्वास्थ्य कर्मी तब तक 24 घंटे मौजूद रहेंगे। साथ ही घर-घर जाकर लोगों की जांच करेंगे। मारजुम में भी कई लोग मिले उल्टी-दस्त से पीडि़त मरीज स्वास्थ्य विभाग द्वारा लिए गए सैंपल की रिपोर्ट आना बाकी है। कल विभाग ने गांव में चावल के पेज, ग्रामीणों के घरों में रखी शराब, हैंड पंपों से पानी का सैंपल लिया है। कवासी पारा में अभी उल्टी दस्त के मामले रुके नहीं कटेकल्याण ब्लाक के मारजुम में भी कई लोग उल्टी-दस्त से पीड़ित मिले। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की एक टीम को मारजुम गांव रवाना किया गया है। मारजुम पहुंच विहीन गांव है। इस गांव तक कोई वाहन नहीं पहुंचती है। यहां अगर स्थित बिगड़ी तो स्वास्थ्य विभाग को परेशानी उठानी पड़ेगी। सबसे ज्यादा यहां से मरीजों को अस्पताल शिफ्ट करने में होगी।