Friday , November 15 2024
Home / MainSlide / छत्तीसगढ़: आदिवासी आरक्षण पर तेज हुई राजनीति

छत्तीसगढ़: आदिवासी आरक्षण पर तेज हुई राजनीति

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में आदिवासी (Tribal) आरक्षण के मुद्दे को लेकर राजनीति बढ़ती ही जा रही है. बीजेपी (BJP) अब राज्य की कांग्रेस सरकार (Congress Government) को घेरने के लिए शनिवार को सड़क पर उतरने जा रही है. बीजेपी के सभी दिग्गज नेता राजभवन तक पैदल मार्च करेंगे और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे. इसके लिए शुक्रवार को बीजेपी की कोर ग्रुप की बैठक में निर्णय लिया गया है. बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में प्रदेश अरूण साव (Arun Sao) की अध्यक्षता में कोर ग्रुप की बैठक हुई. बैठक में आदिवासियों के आरक्षण के मामले पर बड़ा फैसला लिया गया. यही वजह है कि बीजेपी शनिवार को राज्यपाल से मिलकर आदिवासियों के आरक्षण कम होने का विरोध जताएंगे.
इससे पहले बीजेपी रायपुर जिला कार्यालय से राजभवन तक पैदल मार्च करेगी. इसके बाद शाम को एक प्रेस कांफ्रेंस होगी. बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक के बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव ने कहा कि कांग्रेस सरकार की लापरवाही से आदिवासियों के आरक्षण में कटौती हुई है. कई विरोध प्रदर्शन और चक्का जाम के बाद भी ये बहरी सरकार आदिवासी समाज की पीड़ा नहीं सुन रही है. इसी कड़ी में 15 अक्टूबर को 2.30 बजे बीजेपी के सभी विधायक, सभी सांसद, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद और बीजेपी के वरिष्ठ आदिवासी नेता पैदल मार्च करते हुए मुख्य मार्ग से राजभवन जायेंगे. साथ ही राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे
‘बीजेपी को आदिवासी समाज से माफी मांगनी चाहिए’
दूसरी तरफ कांग्रेस आदिवासी आरक्षण कम होने के लिए बीजेपी की तत्कालीन सरकार को जिम्मेदार बता रही है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस के संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि आदिवासियों के आरक्षण कम होने के लिए बीजेपी की तत्कालीन सरकार गुनहगार है. आज घड़ियाली आंसू बहाने के लिए पैदल मार्च निकाल रहे हैं. जब कुछ करना था, तब जानबूझकर कोर्ट के समक्ष दलील प्रस्तुत नहीं की. यहां तक कमेटियों के रिपोर्ट को भी कोर्ट में पेश नहीं किया. इसकी वजह से 58 फीसदी आरक्षण को 50 फीसदी कर दिया. हमारी सरकार सुप्रीम कोर्ट गई और दूसरे वैकल्पिक वैधानिक मार्ग तलाशे जा रहे है, लेकिन बीजेपी को तो आदिवासी समाज से माफी मांगनी चाहिए.