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जानिए इस समय भूलकर भी न करें पीपल की पूजा..

 
शास्त्रों में पीपल के वृक्ष की महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसे देवों का वृक्ष माना जाता है। इसकी पूजा करने से कई दोषों से निजात मिल जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पीपल के पेड़ की पूजा किस समय नहीं करनी चाहिए? हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस वृक्ष में मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु के साथ-साथ अन्य देवी देवता भी वास करते हैं। खुद श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि मैं पीपल में वास करता हूं। शास्त्रों के अनुसार, पीपल के पेड़ की पूजा सूर्योदय से पहले बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ में अलक्ष्मी वास करती हैं। अलक्ष्मी को दरिद्रता की देवी माना जाता है। ऐसे में अलक्ष्मी की पूजा करने से घर में दरिद्रता का वास हो जाएगा। जिसके कारण हमेशा गरीबी व जीवन में परेशानी आती रहेगी। इसलिए सूर्योदय से पहले न तो पीपल की पूजा करनी चाहिए और न ही इस पेड़ के पास जाना चाहिए। हमेशा सूर्योदय के बाद ही पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। इतना ही नहीं रोजाना पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनिदोष, शनि साढ़े साती और ढैय्या से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही पितरों का आशीर्वाद मिलता है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार, पीपल के पेड़ की पूजा दिन के एक समय नहीं करनी चाहिए। स्कंद पुराण में पीपल के पेड़ के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस पुराण में एक श्लोक के माध्यम से पीपल के महत्व को दर्शाया गया है। स्कंद पुराण में पीपल के वृक्ष के बारे में बताया गया है कि मूले विष्णु: स्थितो नित्यं स्कन्धे केशव एव च। नारायणस्तु शारवासु पत्रेषु भगवान् हरि:।। फलेऽच्युतो न सन्देह: सर्वदेवै: समन्व स एवं ष्णिुद्र्रुम एव मूर्तो महात्मभि: सेवितपुण्यमूल:। यस्याश्रय: पापसहस्त्रहन्ता भवेन्नृणां कामदुघो गुणाढ्य:।। इस श्लोक का मतलब है कि पीपल की जड़ में भगवान विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान हरि और फलों में सभी देवी देवता निवास करते हैं। इसलिए पीपल का वृक्ष भगवान विष्णु स्वरूप है। जो व्यक्ति वृक्ष की पूजा और सेवा करता है। उसे सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और पितरों का तीर्थों में निवास होता है।