बढ़ती आबादी पर काबू पाने के लिए दुनियाभर की सरकारें समय-समय पर कई कदम उठाती रहती हैं. इस बीच अपने शहरों में जनसंख्या का सही संतुलन बिठाने के लिए जापान (Japan) ने जो अनूठा तरीका निकाला है उसकी चर्चा जोर पकड़ रही है.
जापान सरकार का फैसला
जापान की सरकार लंबे समय से टोक्यो में बसे लोगों को कैपिटल सिटी छोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. इसके लिए वह परिवारों को प्रोत्साहन राशि भी दे रही थी जिसे बढ़ाने का फैसला किया है. इस प्रोत्साहन नीति को साल 2019 में शुरू किया गया था जिसका मकसद बच्चों को ऐसे इलाके में पालना बढ़वाना है जहां जन्मदर पहले से ही कम है और वहां की बाकी जनसंख्या बूढ़ी हो रही है. पहले जापान की सरकार इस स्कीम में हिस्सा लेने वालों को 7 लाख येन प्रति बच्चा की प्रोत्साहन राशि देती थी, अब उसे बढ़ाकर 10 लाख येन यानी करीब साढ़े 6 लाख रुपये प्रति बच्चा करने का फैसला किया गया है.
सरकार का टारगेट
‘द गार्जियन’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में केवल 71 परिवार इस स्कीम का हिस्सा बने जो 2020 आते-आते 290 हो गए थे. अब जापान की सरकार की कोशिश इस स्कीम में शामिल होने वाले परिवारों की संख्या अगले 5 सालों में बढ़ाकर 10 हजार के पार पहुंचाने की है. इसके लिए जापान की सरकार सुदूरवर्ती खासकर ग्रामीण इलाकों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं तेजी से बढ़ा रही है.
इन शर्तों को पूरा करना होगा
इस स्कीम का फायदा लेने वालों को नई जगह पर जाकर स्थानीय प्रशासन के पास अगले तीन महीने से एक साल के बीच पहुंचना होगा और वहां रहने के अपने मकसद की जानकारी देते हुए ये एफिडेविट देना होगा कि वे वहां पांच साल तक रहेंगे. अगर वो पांच साल तक उसी जगह पर नहीं रहते हैं तो उनसे ये प्रोत्साहन राशि सरकार वापस ले लेगी. इस कार्यक्रम में उन परिवारों को ज्यादा वित्तीय सहायता दी जाएगी जिनमें एक से ज्यादा बच्चे हैं. साल 2021 में 1184 परिवारों ने टोक्यो छोड़ा था जिन्हें मदद दी गई थी. इस स्कीम का फायदा लेने वाले को अपने रोजगार की जिम्मेदारी खुद उठानी होगी.