भारतीय रिजर्व बैंक ने आज मौद्रिक नीति की घोषणा कर दी है। आरबीआई ने 25 बीपीएस की बढ़ोतरी तत्काल प्रभाव बढ़ा दिया है। अब यह 6.50% हो गया है। रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी से सस्ते कर्ज की उम्मीद टूट गई है। इसका असर होम लोन (Home Loan), कार लोन (Car Loan) और पर्सनल होन (Personal Loan) की EMI पर पड़ेगा। मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से चार ने रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में मतदान किया।
बता दें आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक सोमवार को शुरू हुई थी और आज समिति के फैसलों के बारे में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास जानकारी दी। आज हुई बढ़ोतरी को मिला दिया जाए तो पिछले सात महीनों में आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में की गई छठी वृद्धि है। केंद्रीय बैंक ने मई में 0.40 फीसद जून, अगस्त और सितंबर में 0.50-0.50-0.50 फीसद की बढ़ोतरी की थी। दिसंबर में दरों में 0.35 फीसद की बढ़ोतरी की गई थी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि पिछले करीब तीन साल में विभिन्न चुनौतियों के कारण दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के लिए मौद्रिक नीति के स्तर पर चुनौती रही है। दास ने कहा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति अब इतनी कमजोर नहीं दिख रही है, मुद्रास्फीति नीचे आ रही है। वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर सात फीसद रहने का अनुमान है। उन्होंने यह भी कहा कि कमजोर वैश्विक मांग, मौजूदा आर्थिक माहौल घरेलू वृद्धि को प्रभावित कर सकता है मौद्रिक नीति समिति उदार रुख को वापस लेने पर ध्यान देने के पक्ष में है।
महंगाई से मिलेगी राहत
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 6.5 फीसद और अगले वित्त वर्ष में 5.3 फीसद रहने का अनुमान जताया है। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.8 फीसद से बढ़ाकर सात फीसद कर दिया है। वहीं अगले वित्त वर्ष में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 6.4 फीसद रहने का अनुमान रखा गया है।
क्या है रेपो रेट
रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। इसमें वृद्धि का मतलब है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिया जाने वाला कर्ज महंगा होगा और मौजूदा ऋण की मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ेगी।
कर्ज की ईएमआई बढ़ेगी
आरबीआई की रेपो दर में नवीनतम वृद्धि के बाद बैंक रिटेल लोन महंगा करेंगे। इसलिए एक आम आदमी के लिए यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि रेपो रेट में वृद्धि का यह निर्णय किसी की EMI को कैसे प्रभावित करने वाला है। बैंक की ब्याज दरों में वृद्धि का सीधा असर नए लोन लेने वालों और बैंक जमाकर्ताओं पर पड़ेगा। रेपो दर में बढ़ोतरी के बाद, बैंक अपने रिटेल लोन पर ब्याज दर बढ़ा देते हैं और ब्याज दर में वृद्धि के बाद, वे आमतौर पर ईएमआई के बजाय लोन अदायगी की अवधि बढ़ाते हैं।