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प्रकृति का संरक्षण हमारी संस्कृति का हिस्सा- मोदी

मैसूरु 09 अप्रैल।प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि प्रकृति का संरक्षण हमारी संस्‍कृति का हिस्‍सा है और वन्‍य जीव तथा पर्यावरण संरक्षण के अच्‍छे परिणाम दिख रहे हैं।

श्री मोदी ने  बाघ परियोजना के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आज यहां कहा कि देश के कई समुदायों में प्रकृति और बाघों के संरक्षण की संस्‍कृति है।उन्होने कहा कि प्रोजेक्‍ट टाइगर को 50 वर्ष हो गए हैं। प्रोजेक्‍ट टाइगर की सफलता भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्‍व के लिए गौरव का विषय है। भारत ने टाइगर को न सिर्फ बचाया है बल्कि उसको फलने-फूलने का एक बेहतरीन इकोसिस्‍टम दिया है।

श्री मोदी ने कहा कि देश में 75 वर्ष के अंतराल के बाद चीते का जन्‍म होना इस बात का प्रमाण है कि देश में जैव-विवधिता बढ़ रही है।भारत की परंपरा, भारत की संस्‍कृति और भारत के समाज में बायोडायर्सिटी को लेकर, पर्यावरण को लेकर जो हमारा स्‍वाभाविक आग्रह है और वही इस सफलता के अन्‍दर छिपा हुआ है। हम इकोलॉजी और इकोनॉमी में कॉनफि्लक्‍ट नहीं मानते बल्कि दोनों के बीच कोएग्जिसटेंट को महत्‍व देते हैं।

उन्होने कहा कि आज एशियाई हाथियों, एक सिंह वाले गैंडे, तेंदुए और बाघ की सबसे अधिक संख्‍या भारत में है। देश का वन-क्षेत्र भी बढ़कर 2220 वर्ग किलोमीटर हो गया है और पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों की संख्‍या बढ़कर 486 हो गई है। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में, देश में बाघों की स्थिति से संबंधित एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के अनुसार, देश में बाघों की संख्‍या बढ़कर 3167 हो गई है जो 2018 में 2967 थी।

इससे पहले, प्रधानमंत्री ने कर्नाटक और तमिलनाडु में बंडीपुर, तेप्‍पाकडु और मडुमलई बाघ अभयारण्यों का दौरा किया। उन्‍होंने हाथी कैम्‍प कार्यबल के सदस्‍यों से बातचीत की और ऑस्‍कर विजेता वृत्‍तचित्र द एलिफेंट व्हिस्‍परर्स में काम कर चुके वनकर्मी दंपत्ति बोम्‍मा और बेल्ली से भी मुलाकात की।